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यूपी: दिवाली बाद छुट्टी पर आऊंगा...फिर आई शहादत की खबर और बिलख पड़े कैप्टन शुभम गुप्ता के दोस्त

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Thu, 23 Nov 2023 09:49 PM IST
सार

जम्मू-कश्मीर के राजोरी में आतंकियों से लोहा लेते हुए आगरा के लाल शुभम गुप्ता ने सर्वोच्च बलिदान दिया। ये खबर जैसे ही दोस्तों को लगी तो वे उनके घर पहुंचे। दिवाली से पहले हुई शुभम से हुई बातचीत के बारे में बताते हुए दोस्त बिलख पड़े। 
 

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martyrdom of Shubham Gupta his school friends also reached home
पिता के साथ कैप्टन शुभम गुप्ता - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आगरा के लाल शुभम गुप्ता की शहादत की जानकारी पर बृहस्पतिवार को स्कूली दोस्त भी सांत्वना देने घर पहुंच गए। घर के बाहर गली में खड़े दोस्त भावुक थे। पूछने पर उन्होंने यही कहा कि शुभम एक बार जिससे मिल लेता था, उससे दोस्ती हो जाती थी। उसकी तो हर किसी से दोस्ती हो जाती थी। सेना में जाने के बाद भी वह 10-15 दिन में दोस्तों को फोन कर हालचाल पूछता था। स्कूली समय में भी पढ़ाई, खेलकूद और दूसरों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहता था।

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एनडीए की परीक्षा हमने साथ दी थी
मधु नगर के मोहित माथुर ने बताया कि हमने स्कूली पढ़ाई साथ की। शुरू से ही सेना में जाने का सोचा था। हम दोनों ने एनडीए की परीक्षा भी दी। इसमें शुभम सफल हो गया, मैं रह गया। शुभम बोला, चल दोनों में से एक तो सेना में पहुंच ही गया। ट्रेनिंग में भी यही कहता मैं ठीक हूं, तुम सब कैसे हो।

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वीडियो कॉल पर 12 को हुई थी बात
 नाई की मंडी निवासी प्रतीक सिंह ने बताया कि 12 नवंबर को दिवाली के दिन शुभम से वीडियो कॉल पर बात हुई थी। मैंने पूछा कि कहां पर है और कैसा है। उसने यही कहा कि सब ठीक है और दिवाली बाद छुट्टी पर आऊंगा। दोस्तों का हाल पूछने के बाद मम्मी-पापा के बारे में भी पूछा।

गजब का था आत्मविश्वास
ताजनगरी निवासी सौरभ यादव ने बताया कि शुभम में आत्मविश्वास गजब का था। स्कूल के दिनों में भी वह सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद समेत सभी की गतिविधियों में आगे रहता। हमारी क्लास का हाउस कैप्टन भी था। वॉलीबाल, बैडमिंटन भी अच्छा खेलता था। हम सब में हंसमुख था।

छुट्टी पर सभी दोस्तों से था मिलता
शमसाबाद रोड निवासी कौशलेंद्र जादौन ने कहा कि स्कूल में 8-10 दोस्तों का ग्रुप था। सभी संपर्क में थे। शुभम की ये अच्छाई थी कि वह जब भी छुट्टी पर आता था तो दोस्तों से मिलने जरूर आता था। घर-परिवार वालों के बारे में भी जानकारी करता था। स्कूल के शिक्षकों से भी संपर्क करता था।
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