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US Tariffs Impact: भारत के जूता उद्योग को बड़ा झटका, अमेरिकी टैरिफ से सहमे फुटवियर निर्यातक; इस बात का डर
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Fri, 04 Apr 2025 09:57 AM IST
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सार
अमेरिकी टैरिफ से जूता निर्यातक सहमे हुए हैं। वे अभी तो सिर्फ इंतजार करने की हालत में हैं। मानना ये है कि इस कदम से बड़ी संख्या में ऑर्डर अटक सकते हैं।

एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
अमेरिका के 26 फीसदी टैरिफ से आगरा के जूता निर्यातक सहमे हुए हैं। बाजार में उथल पुथल की आशंकाओं के कारण एक सप्ताह तक निर्यातक देखो और इंतजार करो की नीति अपनाएंगे।
हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (एचएसएन) कोडवार स्पष्टता आने तक बाजार में कई तरह की आशंकाएं हैं, जिस वजह से अमेरिकी बाजार में ऑर्डर भेज रहे निर्यातकों को भुगतान के समय परेशानियां आने का खतरा है। वहीं दूसरी ओर कई निर्यातक मान रहे हैं कि प्रतिद्वंद्वी देशों पर टैरिफ भारत से ज्यादा होने के कारण यह आपदा में अवसर साबित हो सकता है और चीन की जगह भारतीय निर्यात अमेरिका में नई ऊंचाइयां छू सकता है।

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हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (एचएसएन) कोडवार स्पष्टता आने तक बाजार में कई तरह की आशंकाएं हैं, जिस वजह से अमेरिकी बाजार में ऑर्डर भेज रहे निर्यातकों को भुगतान के समय परेशानियां आने का खतरा है। वहीं दूसरी ओर कई निर्यातक मान रहे हैं कि प्रतिद्वंद्वी देशों पर टैरिफ भारत से ज्यादा होने के कारण यह आपदा में अवसर साबित हो सकता है और चीन की जगह भारतीय निर्यात अमेरिका में नई ऊंचाइयां छू सकता है।
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एफमेक उपाध्यक्ष प्रदीप वासन के मुताबिक अमेरिकी बाजार में अब तक फुटवियर पर 8.5 फीसदी ड्यूटी थी, जबकि लेडीज फुटवियर पर यह 10 फीसदी रही। 26 फीसदी टैरिफ से अमेरिकी खरीदार को आगरा में बना जूता महंगा पड़ेगा। उनके अमेरिकी खरीदार इस टैरिफ से निपटने के रास्ते खोजने पर जोर दे रहे हैं। इससे बाजार में पूरी तरह से उथल-पुथल मच जाएगी।
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निर्यातक राजकुमार जैन ने बताया कि अमेरिकी टैरिफ मंदी की ओर धकेल देगा। अमेरिकी बाजार में इससे चीजें महंगी हो जाएंगी। आगरा से बने जूते 36 फीसदी ड्यूटी देने के बाद जब बाजार में पहुंचेंगे तो खुदरा कीमतें और बढ़ेंगी। इसके लिए खरीदार जूते की कीमतें कम करने पर जोर देंगे। आगरा से यूरोपीय बाजार को ज्यादा जूता निर्यात होता है, जबकि अमेरिकी बाजार में आगरा के कुछ निर्यातक ही फुटवियर भेजते हैं। चेन्नई से अमेरिका ज्यादा निर्यात है।
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तस्वीर का दूसरा पहलू- आपदा में अवसर
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट्स के नार्दर्न रीजन चेयरमैन और एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर तस्वीर का दूसरा पहलू देख रहे हैं। डावर के मुताबिक अमेरिका ने जो टैरिफ लगाया है, उसका भार अमेरिकी आयातकों पर पड़ेगा, न कि हमारे निर्यातकों पर। फुटवियर पर टैरिफ मामले में भारत सबसे बेहतर स्थिति में है। भारत से अमेरिका में फुटवियर निर्यात पर 8.5 फीसदी ड्यूटी थी जो अब 26 फीसदी बढ़कर 34.5 फीसदी हो जाएगी। चीन को 54 फीसदी, वियतनाम को 49 फीसदी, कंबोडिया को 46 फीसदी, इंडोनेशिया को 49 फीसदी और बांग्लादेश, पाकिस्तान को 37 और 29 फीसदी टैक्स देना होगा।
ऐसे में आपदा में अवसर खोजा जा सकता है। जूता श्रमिक आधारित उद्योग है। चीन के मुकाबले भारत में बना जूता अमेरिका में फिर भी कम कीमत का रहेगा। उम्मीद है कि भारत इस टैरिफ वॉर में उभर कर निकलेगा। यही सोच एफमेक के संस्थापक और निर्यातक नजीर अहमद की है। उन्होंने कहा कि चीन के मुकाबले भारत बेहतर स्थिति में रहेगा। भारतीय जूता निर्यातकों के लिए यह बड़ा अवसर साबित हो सकता है। प्रतिद्वंद्वी देशों में टैरिफ ज्यादा लगाया गया है। फिर भी भारत सरकार को कोई रास्ता निकालना होगा, जिसमें टैरिफ की वापसी उद्यमियों को की जाए। उस स्थिति में भारतीय जूता बाजार नए आयाम छू सकता है।
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट्स के नार्दर्न रीजन चेयरमैन और एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर तस्वीर का दूसरा पहलू देख रहे हैं। डावर के मुताबिक अमेरिका ने जो टैरिफ लगाया है, उसका भार अमेरिकी आयातकों पर पड़ेगा, न कि हमारे निर्यातकों पर। फुटवियर पर टैरिफ मामले में भारत सबसे बेहतर स्थिति में है। भारत से अमेरिका में फुटवियर निर्यात पर 8.5 फीसदी ड्यूटी थी जो अब 26 फीसदी बढ़कर 34.5 फीसदी हो जाएगी। चीन को 54 फीसदी, वियतनाम को 49 फीसदी, कंबोडिया को 46 फीसदी, इंडोनेशिया को 49 फीसदी और बांग्लादेश, पाकिस्तान को 37 और 29 फीसदी टैक्स देना होगा।
ऐसे में आपदा में अवसर खोजा जा सकता है। जूता श्रमिक आधारित उद्योग है। चीन के मुकाबले भारत में बना जूता अमेरिका में फिर भी कम कीमत का रहेगा। उम्मीद है कि भारत इस टैरिफ वॉर में उभर कर निकलेगा। यही सोच एफमेक के संस्थापक और निर्यातक नजीर अहमद की है। उन्होंने कहा कि चीन के मुकाबले भारत बेहतर स्थिति में रहेगा। भारतीय जूता निर्यातकों के लिए यह बड़ा अवसर साबित हो सकता है। प्रतिद्वंद्वी देशों में टैरिफ ज्यादा लगाया गया है। फिर भी भारत सरकार को कोई रास्ता निकालना होगा, जिसमें टैरिफ की वापसी उद्यमियों को की जाए। उस स्थिति में भारतीय जूता बाजार नए आयाम छू सकता है।