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Aligarh: टप्पल में 33 करोड़ की संपत्ति कुर्की पर हाईकोर्ट की रोक,500 लोगों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को झटका

अभिषेक शर्मा, अमर उजाला, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Fri, 05 Dec 2025 10:56 AM IST
सार

टप्पल पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ दोनों आरोपी हाईकोर्ट गए। जिसमें उन्होंने तर्क रखा कि न तो अपनी विवेचना में पुलिस यह साबित कर पाई कि हमने जिस रकम से जमीन खरीदी है। वह उसी अपराध से संबंधित है।

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High Court stays attachment of property worth Rs 33 crore in Tappal
इलाहबाद हाईकोर्ट - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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अलीगढ़ के टप्पल में कैंप लगाकर निवेशकों से भूमि निवेश के नाम पर ठगी करने वाले एक रीयल स्टेट ग्रुप पर हुई 33 करोड़ की संपत्ति कुर्की की बड़ी कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। भारतीय न्याय संहिता के तहत प्रदेश में यह सबसे पहली इतनी बड़ी कार्रवाई अलीगढ़ पुलिस ने की थी। जिस पर खुश होकर टीम को डीजीपी व एसएसपी स्तर से इनाम दिया गया था। हाईकोर्ट की रोक के बाद इस संपत्ति को नीलाम कर 500 निवेशकों-प्लाट खरीदारों को मुआवजा मिलने की प्रक्रिया को भी झटका लगा है।

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जेवर एयरपोर्ट व यमुना एक्सप्रेस वे के सहारे टप्पल में निवेशकों से भूमि निवेश व ग्राहकों से प्लाट बेचने के नाम पर ठगी करने वाले रीयल स्टेट ग्रुप पर यह कार्रवाई हुई थी। जिसमें बीएनएस के तहत दो लोगों की 33.03 करोड़ की संपत्ति पर 22 अगस्त को निचली अदालत ने कुर्की आदेश दिया था, जिस पर 23 अगस्त को टप्पल पुलिस ने संपत्ति कुर्की का बोर्ड लगा दिया था। पुलिस के आरोप के अनुसार इस ग्रुप ने करीब 100 ऐसे लोगों को ठगा, जिन्होंने निवेश के नाम पर इन्हें रुपये दिए, जबकि 400 करीब ऐसे लोगों को ठगा, जिन्हें यीडा अधिसूचित क्षेत्र में प्लाट बेच दिए। इसी ठगी पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने इन पीडि़तों को बीएनएस के तहत कुर्क की गई संपत्ति को नीलाम कर उस रकम से मुआवजा दिलाना तय किया था।
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हाईकोर्ट ने रोक लगाकर मांगा जवाब
टप्पल पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ दोनों आरोपी हाईकोर्ट गए। जिसमें उन्होंने तर्क रखा कि न तो अपनी विवेचना में पुलिस यह साबित कर पाई कि हमने जिस रकम से जमीन खरीदी है। वह उसी अपराध से संबंधित है। साथ में यह भी तर्क रखा कि अगर विवेचना पूर्ण होने के बाद अदालत में सत्र परीक्षण के समय हम दोषमुक्त होते हैं तो हमारी कुर्क कर नीलाम की गई संपत्ति किस प्रावधान के तहत वापस मिलेगी। इस पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है। जिसके चलते फिलहाल जिला पुलिस व डीएम स्तर से इस संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया रोक दी गई है।

ये थी प्राथमिकी
टप्पल में दिल्ली जामिया नगर शाहीन बाग के मोहम्मद जाबिर ने प्राथमिकी कराई थी। जिसमें दिल्ली अबुल फजल अपार्टमेंट के शारिब तमनीम, गफ्फार मंजिल गली नंबर 7 दिल्ली के साद रहमान, शाहीन बाग के मो. आमिर व कश्मीर के खुर्शीद बट्ट आरोपी हैं। जिसमें आरोप है कि उन्होंने 50 फीसदी हिस्सेदारी में निवेश कराने के नाम पर जाबिर से 4 करोड़ पांच लाख 50 हजार रुपये ले लिए। बाद में प्लाट बेच दिए। मगर उन्हें मुनाफा नहीं दिया। इसी रिपोर्ट में पुलिस ने बीएनएस के तहत शारिब व साद की 33 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कराई थी।

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