Delhi Blast: जमातों में अलीगढ़-हाथरस आए थे शाहीन-परवेज, मरकजों में खंगाले जा रहे रिकार्ड
कानपुर से जेएन मेडिकल कॉलेज में पढ़ने आया यासिर जेएन मेडिकल काॅलेज में ड्यूटी कर रहा है। हालांकि उसने चुप्पी साध रखी है। न वह ज्यादा किसी से बात कर रहा और न कोई प्रतिक्रिया दे रहा। साथ में वह अपने किराये के कमरे से ही आवाजाही कर रहा है।
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दिल्ली विस्फोट कांड की साजिशकर्ता डा.शाहीन व उसका भाई डा.परवेज तबलीगी जमात संग पश्चिमी यूपी के जिलों के साथ-साथ अलीगढ़-हाथरस में भी आए थे। ये खुलासा होने के बाद एजेंसियां अब इन जिलों में भी इनके संपर्कों पर काम कर रही हैं। ये लोग किनसे मिले? उनकी गतिविधियां किस तरह की रहीं? मुलाकातों में उनके बयान व बातचीत किस तरह के रहते थे? ये सभी विवरण जुटाने का प्रयास हो रहा है। साथ में कोविड काल के बाद से इन जमातों का रिकार्ड जुटाया जा रहा है। बता दें कि दिल्ली की निजामुद्दीन मस्जिद से यहां जमात आती हैं, जो गांव-गांव जाकर धार्मिक तालीम देती हैं।
घटना के बाद से दिल्ली व उससे सटे प्रदेशों में अलर्ट जारी कर दिया गया था। फरीदाबाद से पकड़ी गई डा. शाहीन व उसके भाई डा. परवेज शाहिद अंसारी के करीबियों की तलाश की जा रही है। लखनऊ एटीएस इस मामले में प्रदेश में छानबीन कर रही है। कानपुर, सहारनपुर, हापुड़ आदि शहरों में तो छानबीन की ही जा रही है। अब अलीगढ़ व हाथरस भी एटीएस की नजर में आ गया है। डा. परवेज से हुई पूछताछ में जांच टीम को पता चला कि वह अपनी बहन के साथ जमात में शामिल होता था। वह वहां से प्रदेश के कई जिलों में गया व गांव-गांव पहुंचकर धार्मिक तालीम दी। सूत्रों के अनुसार उसके अपनी बहन के साथ अलीगढ़ व हाथरस में भी जमात में जाने के इनपुट मिले हैं।
इस मस्जिद की जमात अलीगढ़ के जमालपुर, पुराने शहर के ऊपरकोट, शाहजमाल सहित कई मस्जिदों में रुकी थी। कोविड काल में इस जमात में कुछ विदेशी भी पकड़े गए थे जो धार्मिक वीजा पर आए थे। इसके बाद भी इन जमातों का शहर में आना जाना रहता है। इसी तरह हाथरस की मुरसान गेट इलाके की मस्जिद में यह जमात आती रही है, जहां जिले का मरकज है। अब एजेंसियां इन मस्जिदों में कोविड काल के बाद से लेकर अब तक जमात आने का रिकार्ड खंगाल रही हैं। बता दें कि मुस्लिम धर्म में जमात के लिए हर जिले में एक मस्जिद को मरकस के रूप में चुना जाता है, जहां जमात ठहरती है। वहीं से जिले के विभिन्न कस्बों व गांवों में जाती हैं।
डा. परवेज के हाथरस जमात में आने के मामले की जांच कराई जा रही है। संबंधित मस्जिद से रिकॉर्ड लेकर छानबीन की जाएगी।-चिरंजीवनाथ सिन्हा, एसपी
एजेंसियां व खुफिया टीमें अपना काम कर रही हैं। हमसे जो भी मदद मांग जाएगी दी जाएगी। सभी पहलुओं पर हमारी सतर्क नजर है।-मृगांक शेखर पाठक, एसपी सिटी
मरकजों में तलाशा जाएगा रिकॉर्ड
जमात के मरकजों में आने के समय निजामुद्दीन से लिखित फरमान लाया जाता है। वो यहां जमा होता है। इसमें जमात के प्रमुख व्यक्ति का नाम व अन्य लोगों की जानकारी होती है। इस जानकारी को रजिस्टर में रखा जाता है, जो जरूरत पड़ने पर एलआईयू व आईबी समय-समय पर लेती रहती है। अब इसी रिकॉर्ड को फिर से खंगाला जाएगा तथा रजिस्टर आदि की जांच की जाएगी।
आलिम हो सकता है परवेज
आम लोगों के लिए जमात का समय तीन दिन, चालीस दिन व चार महीने नीयत है। जबकि जिन लोगों पर डॉक्टर, इंजीनियर जैसी डिग्रियां होती है, वे एक वर्ष तक जमात में रहकर गांव-गांव जाकर तालीम दे सकते हैं। इन्हें आलिम कहा जाता है। संभावना है कि परवेज डॉक्टर होने के नाते जमात में आलिम हो तथा यहां आया हो। इसलिए पुलिस गहनता से छानबीन में जुट गई है।
मेडिकल में ड्यूटी कर रहा यासिर, साध रखी चुप्पी
कानपुर से जेएन मेडिकल कॉलेज में पढ़ने आया यासिर जेएन मेडिकल काॅलेज में ड्यूटी कर रहा है। हालांकि उसने चुप्पी साध रखी है। न वह ज्यादा किसी से बात कर रहा और न कोई प्रतिक्रिया दे रहा। साथ में वह अपने किराये के कमरे से ही आवाजाही कर रहा है। हालांकि शनिवार को उसके विषय में एजेंसियों ने एएमयू में पहुंचकर जानकारी जुटाई है। उससे गोपनीय तरीके से बात भी की है। मगर वह शनिवार को एएमयू में स्टाफ व साथियों के संपर्क में नहीं आ रहा। इसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं। मगर रविवार को वह ड्यूटी करते पाया गया। इस विषय में एएमयू प्राॅक्टर प्रो.वसीम अली इतना ही बताते हैं कि रविवार को यासिर ने ड्यूटी की है। अभी तक किसी एजेंसी ने उसके विषय में संपर्क नहीं किया है। वह सिविल लाइंस इलाके में किराये पर रह रहा है। उस पर हमारी पूरी निगरानी है।