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High Court : हाईकोर्ट ने वकील के फर्जी होने के मामले में हस्ताक्षर की जांच कराने का आदेश दिया
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 17 Nov 2025 01:51 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील की पहचान और दस्तावेज पर किए गए हस्ताक्षरों की फॉरेंसिक जांच का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र और मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली की खंडपीठ ने संगीता गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिया है।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वकील की पहचान और दस्तावेज पर किए गए हस्ताक्षरों की फॉरेंसिक जांच का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र और मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली की खंडपीठ ने संगीता गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिया है।
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याचिका में कुशीनगर के फतेह मेमोरियल इंटर कॉलेज, तमकुही के प्रबंधन समिति के 2023 में चुनाव को चुनौती दी गई थी। बाद में उन्होंने याचिका वापस लेने के लिए एक आवेदन दायर किया। इसी आवेदन को लेकर विवाद शुरू हुआ, जब संस्थान की ओर से यह आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने विपक्षी पक्ष के वकील परिजात श्रीवास्तव के हस्ताक्षर नकली करके दिखाया कि उन्हें वापसी आवेदन की कॉपी मिल गई है।
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प्रतिवादी पक्ष (कॉलेज प्रबंधन) ने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता संगीता गुप्ता, उनके वकील अमित प्रताप सिंह और एक अन्य वकील अशरफ अली आपसी साठगांठ से झूठे और दिखावटी मुकदमे दाखिल कर रहे हैं। आरोप है कि अशरफ अली नाम का वकील वास्तव में अमित प्रताप सिंह की ओर गढ़ी गई एक काल्पनिक पहचान है। अन्य आरोप लगाए गए।
खंडपीठ ने हस्ताक्षरों की वैधता की वैज्ञानिक जांच का फैसला किया। कोर्ट ने मामले की सभी संबंधित मूल दस्तावेज (मूल याचिका, वापसी आवेदन, ऑर्डर शीट वाला पन्ना और विपक्षी वकील का वकालतनामा) लखनऊ स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) भेजने का आदेश दिया। ताकि वकील परिजात श्रीवास्तव के हस्ताक्षर असली हैं या नकली की जांच हो सके। एफएसएल को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को देने के निर्देश दिए गए हैं। अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।