High Court : चयन समिति ही दोषपूर्ण है तो प्रक्रिया को सही नहीं ठहराया जा सकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि चयन समिति ही दोषपूर्ण है तो चयन प्रक्रिया को सही नहीं ठहराया जा सकता। इस टिप्पणी संग कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शिक्षकों और गैर-शिक्षक पदों पर साल 2013-14 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के विश्वविद्यालय के फैसले को बरकरार रखा है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि चयन समिति ही दोषपूर्ण है तो चयन प्रक्रिया को सही नहीं ठहराया जा सकता। इस टिप्पणी संग कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शिक्षकों और गैर-शिक्षक पदों पर साल 2013-14 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के विश्वविद्यालय के फैसले को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने परिणाम घोषित करने की मांग में दाखिल याचिकाएं खारिज कर दीं। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने अंकित सरन व अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर दिया है। याची 2013-14 में जारी किए गए विज्ञापन के तहत विभिन्न पदों के लिए आवेदन किए थे। लिखित परीक्षा व साक्षात्कार उत्तीर्ण किए पर चयन नहीं हुआ। बाद में भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई और एक जांच समिति गठित कर दी गई।
जांच में पाया गया कि चयन समिति के गठन में नियमों की अवहेलना की गई थी। समिति में आवश्यक सदस्यों की अनुपस्थिति, कुलपति की जगह अन्य लोगों की ओर से समिति की अध्यक्षता करना आदि नियमों का पालन नहीं किया गया। इस आधार पर कार्यकारी परिषद ने फरवरी 2016 में यह निर्णय लिया कि चयन समिति की सिफारिश वाले लिफाफे नहीं खोले जाएंगे और पदों का फिर से विज्ञापन किया जाएगा। भर्ती में शामिल उम्मीदवारों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने कहा कि याचियों के सिर्फ उक्त चयन प्रक्रिया में भाग लेने से उन्हें इस दोषपूर्ण चयन प्रक्रिया को पूरा कराने का कोई अधिकार नहीं बनता। खासकर तब जब चयन समिति का गठन ही नियमों के विपरीत हो। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले राज्य बनाम अरबिंदा राभा का हवाला दिया। कहा कि चयनित होने मात्र से नियुक्ति का कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता, बशर्ते कि प्राधिकारी की कार्रवाई बदनीयती से प्रेरित न हो। कोर्ट ने यह भी पाया कि नई भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने और आयु में छूट देने का अवसर दिया गया था। यदि याचियों ने भाग नहीं लिया तो अदालत उनकी सहायता नहीं कर सकती। कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया दोषपूर्ण पाई गई थी। नई प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। इसलिए दिए गए सभी अंतरिम आदेश भी रद्द हो गए हैं।