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Budaun News: थानों की पुलिस सजग हो तो डीएम, एसएसपी ऑफिस में विषाक्त पदार्थ खाकर न पहुंचें पीड़ित

Bareily Bureau बरेली ब्यूरो
Updated Fri, 26 Sep 2025 12:48 AM IST
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सार

बदायूं में हाल ही में पुलिस की लापरवाही के कारण आरोपी लोग एसएसपी व डीएम कार्यालय के बाहर जहर खाने की घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस पर दबाव बनाने के लिए आरोपी यह कदम उठा रहे हैं। एसएसपी ने थानों को पीड़ितों की निष्पक्ष सुनवाई के निर्देश दिए हैं।

If the police stations are vigilant, victims will not reach the DM and SSP offices after consuming toxic substances.
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विस्तार
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बदायूं। जिले की पुलिस इन दिनों पीड़ितों की सुनवाई में घोर लापरवाही बरत रही है। इसी का नतीजा है कि लोग डीएम व एसपी कार्यालय पहुंचकर विषाक्त पदार्थ खाकर जान देने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि अब तक ऐसी हरकत करने वाले जांच में कई मुकदमों में नामजद अपराधी निकले हैं। फिर भी यदि पुलिस सही से कार्रवाई करे तो ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।
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बता दें कि पुलिस पर दबाव बनाने के लिए मूसाझाग थाना क्षेत्र के कस्बा गुलड़िया निवासी अर्पित पटेल ने बुधवार को एसएसपी कार्यालय के बाहर जहरीला पदार्थ खा लिया था। इसके बाद उसको मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। परिजन उसे इलाज के लिए हायर सेंटर ले गए। वहां पुलिस अभिरक्षा में उसका इलाज चल रहा है।
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कचहरी चौकी प्रभारी चमन गिरि की ओर से उसके खिलाफ एक मुकदमा सिविल लाइंस थाने में बुधवार की शाम को दर्ज कराया गया है। अस्पताल से निकलने के बाद पुलिस अर्पित को जेल भेजने की भी तैयारी कर रही है।

थाना स्तर पर करें सुनवाई, कहीं भटकें न पीड़ित

एसएसपी ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं कि थाने पर आने वाले पीड़ित की बात सुनने के बाद उसका निष्पक्ष निस्तारण कराया जाए। निर्दोष पर किसी कीमत पर कार्रवाई न होने पाए। अपराधी पर इतनी कार्रवाई हो कि वह दबाव बनाने से पहले ही जेल की सलाखों के पीछे हो। अगर इसमें लापरवाही की गई तो संबंधित पुलिस कर्मियों व थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एसएसपी ने भी माना पुलिस की लापरवाही

एसएसपी डॉ. बृजेश कुमार सिंह भी पुलिस की लापरवाही को स्वीकारते हैं। ऐसे मामलाें में पहला उदाहरण उघैती थाना क्षेत्र के गांव छिबऊ कला का रहने वाला जितेश गुप्ता है। उसके खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस उसको गिरफ्तार नहीं कर सकी, जबकि वह बेखौफ डीएम कार्यालय पर पहुंच गया और जहरीला पदार्थ खा लिया। अगर उसको तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा गया होता तो जहर खाने या पुलिस पर दबाव बनाने का मौका आरोपी को नहीं मिलता।
दूसरा उदाहरण मूसाझाग पुलिस है। आरोपी के खिलाफ चार-चार मुकदमे दर्ज हैं, इसके बाद भी उसको खुले में घूमने दिया जा रहा था। आरोपी खुद को बचाने के लिए पुलिस को ही दोषी करार देने के लिए एसएसपी कार्यालय के गेट के बाहर तक आ पहुंचा। इतना ही नहीं वह मंगलवार रात में एसएसपी आवास तक गया। इसके बाद भी मूसाझाग पुलिस संज्ञान नहीं ले सकी।
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