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Farrukhabad News: 70 फीसद आलू जा रहा बिहार फिर भी मंदी की बयार
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फर्रुखाबाद। शहर की सातनपुर मंडी में आलू की आवक बढ़ने के साथ ही भाव गिर रहा है। 70 फीसदी आलू बिहार भेजे जाने के बावजूद मंदी की बयार चल रही है। मंडी में शुक्रवार को करीब 125 ट्रक आलू पहुंचा।
गेहूं की बोआई करने के लिए किसान आलू की खोदाई तेजी से कर रहे हैं। मंडी में भी आलू की आवक लगातार बढ़ रही है। सुबह से ही किसान आलू लेकर मंडी पहुंच रहे हैं। बिहार में आलू की सर्वाधिक मांग है। इसके अलावा झारखंड, सिलचर भी भेजा रहा है फिर भी भाव गिरता जा रहा है। मंडी में 261 रुपये से लेकर 321 रुपये प्रति पैकेट (50 किलो) व खुला आलू 581 रुपये से लेकर 701 रुपये प्रति क्विंटल बिका। मंदी से किसान मायूस दिखे। किसानों का कहना है कि आलू के चक्कर में दूसरी फसल क्यों लेट की जाए। किसान आलू की फसल खोदकर गेहूं की बोआई कर रहे हैं। आलू आढ़ती एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर वर्मा रिंकू ने बताया कि मंडी से बिहार के लिए करीब 80 ट्रक आलू भेजा गया। असम के सिलचर के लिए छह ट्रक लोड हुए। इसके अलावा गैरजनपद और झारखंड भी व्यापारी आलू लेकर जा रहे हैं। हर जगह भाव की यही स्थिति है। इससे भाव में उछाल नहीं आ पा रहा है।
मंडी में सफाई व्यवस्था पर एक लाख रुपये प्रति माह खर्च होने के बावजूद गंदगी का साम्राज्य है। इससे आढ़ती नाराज हैं। शुक्रवार को आलू निर्यातक सुधीर शुक्ला के अलावा एसोसिएशन अध्यक्ष व अन्य आढ़तियों ने मंडी सचिव से सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराने की मांग की। इस पर मंडी सचिव अनूप दीक्षित ने ठेकेदार को फोन कर एक सप्ताह में सफाई व्यवस्था दुरुस्त न होने पर कार्रवाई के लिए कहा। मंडी सचिव ने बताया कि ठेकेदार को नोटिस भी भेजा जा रहा है। मंडी में करोड़ों का राजस्व आने के बावजूद व्यवस्थाएं कमजोर हैं। आवारा गोवंश से मंडी में घुसकर नुकसान कर रहे हैं। परेशान आढ़तियों ने आवारा गोवंशों को पकड़वाने की मांग की है।
इस समय मंडी में किसान, आढ़ती, व्यापारी, पल्लेदार मिलाकर कुल दो से तीन हजार लोगों की भीड़ रोजाना रहती है। बावजूद यहां पानी के लिए वाटरकूलर तक नहीं लगाए गए हैं। हैंडपंप भी खराब हैं। मंडी सचिव अनूप दीक्षित ने बताया कि पांच-छह हैंडपंप ठीक करा दिए गए हैं। कुछ रिबोर होने वाले हैं। रिबोर कराने की स्वीकृति ही नहीं मिलती। मंडी में छह वाटरकूलर लगवाने के लिए रिमाइंडर पिछले सप्ताह भेज दिया गया है। स्ट्रीट लाइटें 45 में से 38 सही करा दी गई हैं। हाईमास्ट लाइटें भी लगवाने का प्रयास किया जा रहा है। धीरे-धीरे सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी।
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गेहूं की बोआई करने के लिए किसान आलू की खोदाई तेजी से कर रहे हैं। मंडी में भी आलू की आवक लगातार बढ़ रही है। सुबह से ही किसान आलू लेकर मंडी पहुंच रहे हैं। बिहार में आलू की सर्वाधिक मांग है। इसके अलावा झारखंड, सिलचर भी भेजा रहा है फिर भी भाव गिरता जा रहा है। मंडी में 261 रुपये से लेकर 321 रुपये प्रति पैकेट (50 किलो) व खुला आलू 581 रुपये से लेकर 701 रुपये प्रति क्विंटल बिका। मंदी से किसान मायूस दिखे। किसानों का कहना है कि आलू के चक्कर में दूसरी फसल क्यों लेट की जाए। किसान आलू की फसल खोदकर गेहूं की बोआई कर रहे हैं। आलू आढ़ती एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर वर्मा रिंकू ने बताया कि मंडी से बिहार के लिए करीब 80 ट्रक आलू भेजा गया। असम के सिलचर के लिए छह ट्रक लोड हुए। इसके अलावा गैरजनपद और झारखंड भी व्यापारी आलू लेकर जा रहे हैं। हर जगह भाव की यही स्थिति है। इससे भाव में उछाल नहीं आ पा रहा है।
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मंडी में सफाई व्यवस्था पर एक लाख रुपये प्रति माह खर्च होने के बावजूद गंदगी का साम्राज्य है। इससे आढ़ती नाराज हैं। शुक्रवार को आलू निर्यातक सुधीर शुक्ला के अलावा एसोसिएशन अध्यक्ष व अन्य आढ़तियों ने मंडी सचिव से सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराने की मांग की। इस पर मंडी सचिव अनूप दीक्षित ने ठेकेदार को फोन कर एक सप्ताह में सफाई व्यवस्था दुरुस्त न होने पर कार्रवाई के लिए कहा। मंडी सचिव ने बताया कि ठेकेदार को नोटिस भी भेजा जा रहा है। मंडी में करोड़ों का राजस्व आने के बावजूद व्यवस्थाएं कमजोर हैं। आवारा गोवंश से मंडी में घुसकर नुकसान कर रहे हैं। परेशान आढ़तियों ने आवारा गोवंशों को पकड़वाने की मांग की है।
इस समय मंडी में किसान, आढ़ती, व्यापारी, पल्लेदार मिलाकर कुल दो से तीन हजार लोगों की भीड़ रोजाना रहती है। बावजूद यहां पानी के लिए वाटरकूलर तक नहीं लगाए गए हैं। हैंडपंप भी खराब हैं। मंडी सचिव अनूप दीक्षित ने बताया कि पांच-छह हैंडपंप ठीक करा दिए गए हैं। कुछ रिबोर होने वाले हैं। रिबोर कराने की स्वीकृति ही नहीं मिलती। मंडी में छह वाटरकूलर लगवाने के लिए रिमाइंडर पिछले सप्ताह भेज दिया गया है। स्ट्रीट लाइटें 45 में से 38 सही करा दी गई हैं। हाईमास्ट लाइटें भी लगवाने का प्रयास किया जा रहा है। धीरे-धीरे सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी।
