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झांसी से कानपुर के बीच होगी सिक्सलेन सड़क: एनएचएआई ने पूरा किया सर्वे, डीपीआर बनाने की मांगी मंजूरी
संवाद न्यूज एजेंसी, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Tue, 16 Sep 2025 07:39 PM IST
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सार
वर्तमान में फोरलेन की चौड़ाई 21.5 मीटर है। सिक्सलेन के लिए यहां 32.5 मीटर होने की आवश्यकता है। एनएचएआई के पास पहले से ही 45 मीटर भूमि मौजूद है।

झांसी-कानपुर हाईवे
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
झांसी से कानपुर के बीच फोनलेन को अब सिक्सलेन किया जाएगा। नेशलन हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इसके लिए सर्वेक्षण कार्य पूर्ण कर लिया है। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। स्वीकृति मिलते ही कार्य को आगे बढ़ाकर निर्माण की दिशा में कार्य किया जाएगा।

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झांसी-कानपुर के बीच एनएच-27 वर्तमान में फोरलेन है। इसका निर्माण 2016 में हुआ था। 10 साल के दरम्यान इस हाईवे पर वाहनों का दबाव अधिक बढ़ गया। आए दिन जाम की समस्या यहां बनी रहती हैं। इसे देखते हुए एनएचएआई की ओर से फोरलेन को सिक्सलेन बनाने का खाका तैयार किया गया है। एनएचएआई अफसरों के अनुसार, सिक्सलेन हाईवे के प्रस्ताव के तहत पिछले दिनों सर्वे कार्य हो चुका है। अब इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए कंसलटेंट कंपनी नियुक्त की जानी है, जो पूरी डीपीआर तैयार करेगी।
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झांसी-कानपुर हाईवे के बीच प्रतिदिन 35 से 40 हजार वाहन हर रोज गुजरते हैं। रास्ते में चार टोल प्लाजा हैं, जहां वाहन स्वामियों को टोल अदा करना होता है। सभी टोल पर प्रतिदिन की वसूली दो करोड़ के आसपास है। इसमें झांसी से उरई के बीच 50-60 लाख रुपये और उरई से कानपुर के बीच प्रतिदिन 1.30 से 1.50 करोड़ के बीच टोल टैक्स हासिल होता है।
एनएचएआई के पास खुद की जगह मौजूद, नहीं करना होगा अधिग्रहण
सिक्सलेन सड़क बनाने के लिए एनएचएआई को जमीन अधिग्रहण करने की जरूरत नहीं है। उसके पास खुद ही पर्याप्त जगह उपलब्ध है। वर्तमान में फोरलेन की चौड़ाई 21.5 मीटर है। सिक्सलेन के लिए यहां 32.5 मीटर होने की आवश्यकता है। एनएचएआई के पास पहले से ही 45 मीटर भूमि मौजूद है। ऐसे में एनएचएआई को फोरलेन को सिक्सलेन में तब्दील करने में अलग से जमीन का बंदोबस्त नहीं करना पड़ेगा।
इन्होंने बताया
झांसी एनएचएआई डिप्टी मैनेजर अविनाश मंडीवाल ने बताया कि झांसी-कानपुर फोरलेन को सिक्सलेन में तब्दील किए जाने की योजना है। सड़क का सर्वे कर लिया गया है। इसके बाद डीपीआर बनाकर स्वीकृति के लिए मंत्रालय को भेजा जाएगा। हरी झंडी मिलने के बाद आगे की कार्यवाही होगी।