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फर्जी डॉक्टर मामला : मथुरा से रुड़की तक अभिनव के शैक्षणिक व सेवा अभिलेख खंगालेगी पुलिस
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। बहनोई के चिकित्सकीय दस्तावेजों का इस्तेमाल कर मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट की नौकरी करने वाले आरोपी अभिनव सिंह के खिलाफ पुलिस ने जांच का दायरा और बढ़ा दिया है। पुलिस मथुरा स्थित मेडिकल कॉलेज से लेकर आईआईटी रुड़की, सिंचाई विभाग, नगर पालिका सहित अन्य संस्थानों में आरोपी के शैक्षणिक और सेवा अभिलेखों की गहन पड़ताल करेगी।
पुलिस के अनुसार कूटरचित दस्तावेजों के सहारे अभिनव सिंह ने अमेरिका में रह रहे अपने बहनोई डॉ. राजीव गुप्ता के नाम और पहचान का उपयोग कर मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग विशेषज्ञ के पद पर करीब तीन वर्षों तक नौकरी की। मामले का खुलासा होने और आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल धोखाधड़ी की जांच तेज कर दी है। जांच टीम शनिवार को मथुरा जनपद के छाता स्थित मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2019 के दौरान अभिनव सिंह की नियुक्ति से जुड़े अभिलेखों को खंगालने की तैयारी में जुटी रही। इसके साथ ही आईआईटी रुड़की से संबंधित शैक्षणिक दस्तावेज, सिंचाई विभाग में उसके पिता चंद्रपाल सिंह जो ललितपुर में अधिशासी अभियंता रहे हैं की सेवा फाइलें भी जांच के दायरे में लाई जा रही हैं। नगर पालिका सहित अन्य विभागों में डॉ. राजीव गुप्ता के नाम से प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की भी जांच होगी।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस के हाथ आरोपी द्वारा की गई धोखाधड़ी से जुड़े कई अहम दस्तावेज लगे हैं। वहीं कोलकाता और मुंबई में भी अभिनव सिंह के रिकार्ड खंगालने के लिए संबंधित विभागों से पत्राचार शुरू कर दिया गया है।
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बहन की शिकायत से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा 10 दिसंबर को हुआ था, जब अमेरिका से आईं डॉ. सोनाली सिंह ने जिलाधिकारी और मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान और डिग्री चोरी कर उनका भाई अभिनव सिंह मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग विशेषज्ञ बनकर नौकरी कर रहा है। शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
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इंजीनियर से बना फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट
अभिनव सिंह ने आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी। तीन वर्षों की तैयारी के बाद उसका चयन कस्टम अधिकारी के पद पर हुआ। वर्ष 1999 में भ्रष्टाचार मामले में अभियोग दर्ज होने के बाद वह भाग गया था और पहचान छिपाकर अलग-अलग स्थानों पर रहने लगा। इसी दौरान वह मथुरा के छाता स्थित मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने लगा। वर्ष 2019 में सीबीआई ने उसे मथुरा से गिरफ्तार कर मुंबई जेल भेजा था। करीब 16 माह जेल में रहने के बाद जुलाई 2020 में वह रिहा हुआ। इसके बाद वर्ष 2022 में संविदा पर हृदय रोग विशेषज्ञ पद के लिए आवेदन कर वह चयनित हो गया और मेडिकल कॉलेज में तैनात हो गया। तब से वह मरीजों का इलाज भी कर रहा था।
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ललितपुर। बहनोई के चिकित्सकीय दस्तावेजों का इस्तेमाल कर मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट की नौकरी करने वाले आरोपी अभिनव सिंह के खिलाफ पुलिस ने जांच का दायरा और बढ़ा दिया है। पुलिस मथुरा स्थित मेडिकल कॉलेज से लेकर आईआईटी रुड़की, सिंचाई विभाग, नगर पालिका सहित अन्य संस्थानों में आरोपी के शैक्षणिक और सेवा अभिलेखों की गहन पड़ताल करेगी।
पुलिस के अनुसार कूटरचित दस्तावेजों के सहारे अभिनव सिंह ने अमेरिका में रह रहे अपने बहनोई डॉ. राजीव गुप्ता के नाम और पहचान का उपयोग कर मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग विशेषज्ञ के पद पर करीब तीन वर्षों तक नौकरी की। मामले का खुलासा होने और आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इस हाईप्रोफाइल धोखाधड़ी की जांच तेज कर दी है। जांच टीम शनिवार को मथुरा जनपद के छाता स्थित मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2019 के दौरान अभिनव सिंह की नियुक्ति से जुड़े अभिलेखों को खंगालने की तैयारी में जुटी रही। इसके साथ ही आईआईटी रुड़की से संबंधित शैक्षणिक दस्तावेज, सिंचाई विभाग में उसके पिता चंद्रपाल सिंह जो ललितपुर में अधिशासी अभियंता रहे हैं की सेवा फाइलें भी जांच के दायरे में लाई जा रही हैं। नगर पालिका सहित अन्य विभागों में डॉ. राजीव गुप्ता के नाम से प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की भी जांच होगी।
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सूत्रों के अनुसार, पुलिस के हाथ आरोपी द्वारा की गई धोखाधड़ी से जुड़े कई अहम दस्तावेज लगे हैं। वहीं कोलकाता और मुंबई में भी अभिनव सिंह के रिकार्ड खंगालने के लिए संबंधित विभागों से पत्राचार शुरू कर दिया गया है।
बहन की शिकायत से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा 10 दिसंबर को हुआ था, जब अमेरिका से आईं डॉ. सोनाली सिंह ने जिलाधिकारी और मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान और डिग्री चोरी कर उनका भाई अभिनव सिंह मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग विशेषज्ञ बनकर नौकरी कर रहा है। शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
इंजीनियर से बना फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट
अभिनव सिंह ने आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी। तीन वर्षों की तैयारी के बाद उसका चयन कस्टम अधिकारी के पद पर हुआ। वर्ष 1999 में भ्रष्टाचार मामले में अभियोग दर्ज होने के बाद वह भाग गया था और पहचान छिपाकर अलग-अलग स्थानों पर रहने लगा। इसी दौरान वह मथुरा के छाता स्थित मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने लगा। वर्ष 2019 में सीबीआई ने उसे मथुरा से गिरफ्तार कर मुंबई जेल भेजा था। करीब 16 माह जेल में रहने के बाद जुलाई 2020 में वह रिहा हुआ। इसके बाद वर्ष 2022 में संविदा पर हृदय रोग विशेषज्ञ पद के लिए आवेदन कर वह चयनित हो गया और मेडिकल कॉलेज में तैनात हो गया। तब से वह मरीजों का इलाज भी कर रहा था।
