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अंबाला: श्रम विभाग में घोटोल पर बोले मंत्री अनिल विज, चार्ज लेते ही सामने आ गया था मामला
श्रम विभाग में 1500 करोड़ रुपये के घोटाले के उजागर होने के बाद मंगलवार को श्रम मंत्री अनिल विज ने इस पर बयान दिया। उन्होंने बताया कि श्रम मंत्रालय की जिम्मेदारी लेते ही उनके सामने यह मामला उनकी पकड़ में आ गया था। एक आदमी ने कई-कई लोगों के सत्यापन के कार्य किए जोकि संभव ही नहीं हो सकता था। निर्माण कार्य के मजदूरों को सरकार उनके बच्चों का पीएचडी तक का सारा खर्चा, शादियों व बच्चे होने पर वित्तीय सहायता देती है। शर्त यह है कि लाभार्थी पंजीकृत होना चाहिए और इसके लिए सत्यापन होता है। जब उनके सामने आया कि एक-एक कर्मचारी ने कई-कई हजार लोगों को वैरीफाई किया है तो पहले उन्होंने तीन जिलों की समरी जांच कराई, जिसमें यही बात सामने आई। फिर उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों में जांच कराई। मगर प्रदेश भर में जांच कराने के लिए श्रम विभाग के पास इतना स्टाफ नहीं था। इसलिए जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर उन्हें अपने-अपने जिलों में रजिस्टर्ड कामगारों की सूचियां लेकर घर-घर जाकर जांच कराने को कहा गया था।
अभी कई सवालों के जवाब बाकी
मामले में जांच के बाद 13 जिलों की रिपोर्ट आई है और 9 जिलों की रिपोर्ट आनी बाकि है। विज ने बताया कि 13 जिलों की रिपोर्ट देखकर वह हैरान रह गए कि 5,99,758 वर्कस्लिप में से केवल 53249 ही वैध थे। जबकि बाकि सभी अवैध थे। इसी प्रकार 2,21,517 रजिस्टर्ड वर्कर में से केवल 14240 वर्कर ही वैध हैं बाकि अवैध हैं। विज ने बताया कि शेष मजदूरों के नाम पर जो लाभ मिल रहा है वो कोई और ले रहा है जिसकी जांच होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसने पर्ची बनाई, कब से ले रहे हैं, किस-किस ने लिया, किसने इसे सत्यापित किया, यह जांच में सामने आएगा और यह मामला और भी बड़ा हो सकता है।
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