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पति-पत्नि के प्रेम का प्रतीक करवाचौथ का पर्व उत्साह और परंपराओं के साथ मनाया गया। पत्नियों ने पतियों की लंबी उम्र की कामना के साथ सोलह श्रृंगार कर सुहागिनों ने शुक्रवार को करवाचौथ का व्रत रखा। करवा चौथ पर्व शुक्रवार को परंपरागत तरीके से मनाया गया।
सुबह से ही सजी धजी महिलाओं ने अपने पति की लंबी आय की कामना के लिए उपवास रखा। घर की बुजुर्ग महिलाओं ने उन्हें करवा चौथ व्रत की कथा सुनाई। मेहंदी से सजे हाथ और कलाइयों से घर के तमाम काम काज निपटाती महिलाओं के चेहरे पर करवा चौथ का व्रत रखने की चमक दिन भर बनी रही।
करवा चौथ पर देवी पार्वती के स्वरूप चौथ माता, भगवान शिव और कार्तिकय के साथ-साथ श्री गणेशजी की पूजा करती हैं। अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु और बेहतर जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ पर निर्जला व्रत रखती हैं।
पुजारी श्रद्धानंद व दिनेश शास्त्री मुबारिकपुर के अनुसार सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना गया है। यह पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का महापर्व है। महिलाएं चंद्रदेव से यह आशीर्वाद मांगती हैं कि किसी भी कारण से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े।
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