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VIDEO : झज्जर में सरकार की किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन
झज्जर में लघु सचिवालय में संयुक्त किसान मोर्चा व राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। सांझा मंच के आह्वान पर मंगलवार को मंच से जुड़े सैकड़ो कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों ने बीजेपी सरकार की किसान मजदूर विरोधी तथा पूंजीपति हितैषी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने लघु सचिवालय तक जुलूस निकाला और अपनी मांगों का ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को प्रेषित किया।
लघु सचिवालय में धरने की अध्यक्षता सूबेदार मेजर चरणसिंह ने की तथा मंच संचालन आशा वर्कर यूनियन किरण कुमारी ने किया। ज्ञापन में सभी फसलों को एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने, किसानों और भूमिहीन ग्रामीण गरीबों को कर्ज मुक्त करने, 60 वर्ष उम्र होने पर सभी को दस हजार रुपये प्रति महीना पेंशन देने, बिजली बिल संशोधन 2023 व प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की स्कीम को तुरंत वापस लेने, चार लेबर कोड रद्द करने, ठेकेदारी व्यवस्था पर रोक लगाने तथा संगठित व असंगठित स्कीम वर्करों और अनुबंध मजदूरों एवं कृषि क्षेत्र सहित सभी मजदूरों को 26000 रुपये न्यूनतम वेतन देने, स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की।
इसके अलावा किसानों और अन्य मेहनतकशों को कर्ज मुक्त करने, कृषि क्षेत्र के निगमीकरण पर रोक लगाने, अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण को समाप्त करने, मनरेगा के तहत 200 दिन काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से प्राइवेट कंपनियों को बाहर कर इसे किसान हितैषी बनाने तथा आपदाओं से बर्बाद हुई फसलों का पचास हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के प्रदेश सचिव जयकरण मांडौठी ने कहा कि आज देश के किसानों, मजदूरों तथा अन्य मेहनतकशों की आर्थिक हालात बेहद दयनीय हैं। किसानों को उनकी फसलों के पूरे दाम नहीं मिलते। फसलें बर्बादी हो जाती हैं तो मुआवजा नहीं मिलता तथा खेती में लागत बढ़ने से वह कर्ज जाल में फंसे हुए हैं और कर्ज के दबाव में आत्महत्या कर रहे हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी ने भी मानी है कि किसानों को उनकी लागत के अनुसार फसलों के दाम नहीं मिलते। सरकार ने बड़े-बड़े पूंजीपतियों तथा कॉर्पोरेट घरानों के लगभग 16.5 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए, प
रंतु किसानों तथा मजदूरों के कर्ज माफ करने के लिए उसके खजाने में पैसे नहीं हैं। इस अवसर पर ओमबीर सिंह, सतपाल सभ्रवाल, संसार, हरीश, उद्दे प्रधान गुढ़ा, जतिन, रणसिंह, आनंद मिस्त्री, जगदीश उपस्थित रहे।
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