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महेंद्रगढ़ में जेएलएन में तीन दिन मिला पानी, खराब गुणवत्ता होने के कारण पीने योग्य नहीं
महेंद्रगढ़ जिले को जेएलएन के माध्यम से तीन दिन ही पानी मिल पाया वह भी खराब गुणवत्ता होने के कारण पीने योग्य नहीं। खराब गुणवत्ता होने के कारण जन स्वास्थ्य विभाग ने जलघरों को इस पानी से भरने को मना कर दिया। जन स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र के किसी भी जलघर को नहीं भरा। ऐसे में शहर में पेयजल के लिए संकट खड़ा हो सकता है। शनिवार को जेएलएन में साल्हावास पंप हाउस से पानी बंद कर रेवाड़ी आपूर्ति शुरू कर दी है अब तीन दिन बाद ही महेंद्रगढ़ में पानी छोड़ा जा सकेगा।
जब जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नहर एवं सिंचाई विभाग के सामने पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए तो बताया गया कि 24 दिनों से नहर बंद दी जिसके कारण पत्ते गिरने व पेड़ों की टहनियां गिरने के कारण पानी की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। पिछले 20 वर्षों के दौरान पहली बार जेएलएन में पानी की गुणवत्ता इतनी खराब आई है कि इसे जलघरों तक भी नहीं पहुंचाया जा सका। इस बार मिले पानी का रंग भी काला है। जब देवास पंप हाउस से शहर के पेयजल आपूर्ति के लिए 24 करोड़ लीटर क्षमता वाले चार में एक जलघर में नहर विभाग की ओर से पानी छोड़ा गया तो पंप हाउस की मोटर के पास छह फुट तक झाग बन गए। जन स्वास्थ्य विभाग के देवास स्थित जलघर के कर्मचारियों ने इसकी सूचना विभाग के उच्चाधिकारियों को दी तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर पानी बंद करा दिया। दो सप्ताह से राशनिंग के आधार आपूर्ति शुरू कर दी थी। तीन दिन से जेएलएन में छोड़े गए पानी की गुणवत्ता देख जन स्वास्थ्य विभाग ने हाथ खड़े कर दिए। गांव देवास जल परियोजना पर 24 करोड़ लीटर क्षमता के चार टैंक हैं जिनमें से तीन सुख चुके हैं तथा एक में पानी शेष है। जन स्वास्थ्य विभाग के उपमंडल अधिकारी जीयाराम ने मौके पर पहुंचकर नहर से टैंक में जलापूर्ति बंद करा दी। जेएलएन को डार्क जोन में शामिल जिले के लिए जीवन रेखा कहा जाता है। इसी के माध्यम से जिले की करीब 65 नहरें, 37 बड़े जलघरों व नहरों से जुड़े 427 जोहड़ों में से अधिकांश में पानी सूख चुका है। ऐसे में जिले में पेयजल के लिए जेएलएन पर ही आधारित रहना पड़ता है।
उपमंडल अधिकारी जन स्वास्थ्य विभाग महेंद्रगढ़ जीयाराम ने बताया कि देवास जलघर में जेएलएन के माध्यम से पानी छोड़ा गया था। जब मौके पर पहुंचकर देखा को गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण उसे बंद करा दिया गया है। विभाग के पास 20 बोरवेल हैं जिनसे शहर में पेयजल आपूर्ति की जा रही है। जब नहर में सही पानी आएगा तो टैंकों को भर लिया जाएगा।
वहीं राजेश खत्री, अभियंता, नहर एवं सिंचाई विभाग का कहना है किपिछले 24 दिनों से नहर बंद दी जिसके कारण किनारों पर खड़े पेड़ों से पत्ते एवं टहनियां गिरने से कुछ गुणवत्ता प्रभावित हुई है। 24 दिन बाद नहर चलने से इस तरह का पानी हुआ है। जेएलएन में साल्हावास पंप हाउस से रेवाड़ी जिले में पानी आपूर्ति की जा रही है। तीन दिन बाद जेएलएन में नियमित रूप से पानी की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।
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