आगर मालवा जिला अस्पताल की लापरवाही ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पताल की जिस पानी की टंकी से मरीज और उनके परिजन पेयजल के रूप में उपयोग कर रहे थे, उसी टंकी से मंगलवार सुबह सड़े हुए पक्षियों के अवशेष मिलने से पूरे परिसर में अफरातफरी मच गई। यह मामला सामने आते ही रुद्राक्ष सेवा समिति ने जमकर विरोध किया और धरना प्रदर्शन तक की नौबत आ गई।
स्वास्थ्य की जगह मौत परोसी जा रही थी
जिला अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर पानी की गुणवत्ता को लेकर की गई यह लापरवाही महज एक चूक नहीं, बल्कि मरीजों की जान के साथ खुला खिलवाड़ है। सुबह जब टंकी की जांच हुई तो उसमें कई मृत पक्षी सड़े-गले अवस्था में उतराते हुए पाए गए। यह वही पानी था जिसे अस्पताल स्टाफ, मरीज और उनके परिजन नियमित रूप से पी रहे थे। जैसे ही यह जानकारी रुद्राक्ष सेवा समिति को मिली, उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और बड़ी संख्या में समिति के सदस्य अस्पताल परिसर पहुंचे।
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मौके पर पहुंचे नायब तहसीलदार, लापरवाही की पुष्टि
घटना की गंभीरता को देखते हुए नायब तहसीलदार मौके पर पहुंचे और उन्होंने टंकी का निरीक्षण कर यह माना कि टंकी में मृत पक्षियों के अवशेष मौजूद हैं। यह स्पष्ट हो गया कि इस पानी की नियमित साफ-सफाई नहीं की गई थी, और इससे संक्रमित पानी लगातार लोगों को पीने के लिए दिया जा रहा था।
धरना और बहस के बीच प्रशासन ने दिया सफाई का आश्वासन
घटना के बाद रुद्राक्ष सेवा समिति ने अस्पताल परिसर में धरना शुरू कर दिया। समिति के सदस्यों ने इस गंभीर लापरवाही को लेकर सिविल सर्जन डॉ. मनीष कुरील को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि जिम्मेदारों पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो। धरना स्थल पर स्थिति उस वक्त और गरम हो गई जब आरएमओ और समिति सदस्यों के बीच तीखी बहस हो गई। आखिरकार सिविल सर्जन डॉ. कुरील मौके पर पहुंचे और उन्होंने टंकी की नियमित सफाई सुनिश्चित कराने और पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया।
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जनता में रोष, स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
घटना के सामने आने के बाद आम जनता और मरीजों में भारी आक्रोश देखा गया। लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल में ही इस तरह की लापरवाहियां होंगी तो बीमारियां ठीक होने की बजाय और फैलेंगी। पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा में इस स्तर की चूक कहीं न कहीं जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है।