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Damoh News: मां बड़ी देवी दरबार का 100 फिट ऊंचा शिखर तैयार, कल लगेगा मेला, 300 वर्ष पुराना है मंदिर का इतिहास
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sat, 29 Mar 2025 02:32 PM IST
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दमोह शहर के मां बड़ी देवी के दरबार में कल रविवार से भक्तों का मेला लगना शुरू हो जाएगा। नवरात्र पर्व को लेकर तैयारियां अंतिम दौर में है। यह मंदिर जिले के लोगों की आस्था का केंद्र है। जहां 9 दिनों तक प्रतिदिन सुबह से शाम तक हजारों श्रद्धालु पहुंचेंगे। वर्ष 2016 में समाजसेवियों की ओर से बड़ी देवी मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू किया गया था। अब इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।वर्तमान में यहां विराजमान तीनों देवियों का भव्य मंदिर तैयार हो चुका है। मां बड़ी देवी मंदिर के शिखर की ऊंचाई 100 फीट है। मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है, जबकि पहले मंदिर की ऊंचाई 30 फीट थी। हाल ही में मकराना पत्थर से तीनों देवियों का भव्य आसन तैयार हो गया है। अब गर्भगृह में इंटीरियर का काम बाकी है।
मंदिर का निर्माण सैकड़ों दानदाताओं और चढ़ोतरी से प्राप्त राशि से किया गया है। इसमें तीन प्रमुख मंदिरों में कुछ दानदाताओं का विशेष सहयोग रहा है। जिसमें हरसिद्धी माता मंदिर का निर्माण मालती असाटी, बड़ी माता मंदिर का निर्माण प्रदीप, प्रभात और प्रकाश हजारी द्वारा कराया गया है। वहीं 64 जोगनी मंदिर का निर्माण सुनील, राजीव और कपिल साव द्वारा कराया गया है। वहीं शिव मंदिर का निर्माण वीरू राय, पप्पू असाटी के सहयोग से किया गया। हाल ही में मंदिर परिसर में विराजमान भगवान गणेश मंदिर के आसन का निर्माण, नवीन पंचकुंडीय यज्ञमंडप एवं कुंभाकार पानी की टंकी के निर्माण का भूमिपूजन भी हुआ है। जिसे रिटायर्ड कमिश्नर केपी राही, कैलाश शैलार, अभिषेक राय, संतोष गंगेले, डॉ. नवीन सोनी, निक्की साहू द्वारा कराने का संकल्प लिया गया है।
300 वर्ष पुराना इतिहास
मंदिर के पुजारी आशीष दत्त कटारे ने बताया कि वर्तमान में दमोह में रहने वाला हजारी परिवार मूलतः कानपुर जिले का रहने वाला है। करीब 300 साल पहले इनके पूर्वज पलायन करते हुए दमोह में रहने के लिए आए। तब वे अपने साथ अपनी कुल की देवी बड़ी देवी को भी दमोह लेकर पहुंचे। कई सालों तक बड़ी देवी उनके घर में ही उनकी कुलदेवी बनकर रहीं, लेकिन एक समय स्वप्न में बड़ी देवी ने उन्हें बगीचे में स्थापित करने का निर्देश दिया। उसके बाद परिजनों ने उनकी स्थापना अपने आधिपत्य वाले वर्तमान स्थान पर की गई थी। तब से लेकर अब तक बड़ी देवी यानी महालक्ष्मी, महासरस्वती और मां महाकाली के तीन स्वरूप यहां पर लोगों की मनोकामना को पूरा कर रहे हैं।
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