भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर शनिवार को पूरे जिले में जनजातीय गौरव दिवस उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। जिला पंचायत विश्राम गृह में आयोजित जिला स्तरीय मुख्य कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति ने इस दिन को खास बना दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक पन्नालाल शाक्य ने अपने संबोधन में समाज को जोड़ने और मूल पहचान को समझने का संदेश दिया।
विधायक शाक्य ने कहा कि आज हमें सबसे ज्यादा चिंतित करने वाली बात यह है कि समाज को बांटने की प्रवृत्ति पिछले 250 वर्षों से जारी है। उन्होंने कहा कि “अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अगड़ा-पिछड़ा, सवर्ण-अवर्ण—ये सब विभाजन की श्रेणियां हमारे देश में कभी थीं ही नहीं। ये सब षडयंत्र के तहत हम पर थोपी गई पहचानें हैं, जिन्हें हम अब तक ढो रहे हैं।
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उन्होंने आगे बताया कि भारतीय समाज की मूल संरचना बिल्कुल अलग थी। अंग्रेजों से पहले देश में लोग अपने रहन-सहन के आधार पर पहचाने जाते थे। नगरवासी वे थे जो नगरों में रहते थे। ग्रामवासी गांवों में रहने वाले लोग थे। वनवासी जंगलों में जीवन बिताने वाले समुदाय थे। गिरिवासी वे लोग थे जो पर्वतीय और कंदराओं में रहते थे।
शाक्य ने कहा कि जनजाति नाम से कोई जाति नहीं थी, यह देश को बांटने का एक गहरा षडयंत्र था। हमें मिलकर इस विभाजन को खत्म करने और समाज को फिर से एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने SIR को सफल बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि यह दिशा समाज सुधार और एकता को मजबूती देगी। कार्यक्रम में भगवान बिरसा मुंडा के पराक्रम, संघर्ष और आदिवासी समाज के अधिकारों की लड़ाई को याद किया गया। अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और समाज के लोगों ने उनके योगदान को नमन करते हुए जनजातीय गौरव दिवस को एकता, सम्मान और सांस्कृतिक गौरव के रूप में मनाने का संदेश दिया।