बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरती पर पारंपरिक लोकनृत्यों की गूंज आज भी लोगों के हृदय में उतनी ही जीवंत है। निवाड़ी जिले के ऐतिहासिक नगर ओरछा, जिसे “बुंदेलखंड की अयोध्या” कहा जाता है, में रामराजा मंदिर प्रांगण में मोनिया नृत्य की रंगारंग प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को भक्तिमय और उल्लासपूर्ण बना दिया।
हर वर्ष की तरह इस बार भी दीपावली के दूसरे दिन मोनिया नृत्य उत्सव में आसपास के गांवों और कस्बों से आई टोलियां अपने-अपने पारंपरिक परिधानों और लोकधुनों के साथ भाग ले रही हैं। ढोलक, नगाड़ा, झांझ और बांसुरी की ताल पर थिरकते कलाकारों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों का मन मोह लिया। मंदिर प्रांगण में रामराजा सरकार के जयकारों के बीच जब मोनिया नर्तक मंडलियां नृत्य करती हैं, तो पूरा परिसर भक्तिरस और लोकसंगीत से झूम उठता है।
मोनिया नृत्य बुंदेलखंड का एक प्राचीन लोकनृत्य है, जो सामूहिक रूप से किया जाता है। इसमें युवा और वृद्ध, दोनों ही समान उत्साह से भाग लेते हैं। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि सामूहिक एकता, पारंपरिक विरासत और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। इस दौरान पुरुष नर्तक पारंपरिक और विशेष परिधानों में नजर आते हैं।
इस वर्ष के आयोजन में प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी भाग लेकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। रामराजा मंदिर की परिक्रमा के साथ जब टोलियां नृत्य करती हुई निकलती हैं, तो सैकड़ों श्रद्धालु झूम उठते हैं और मोबाइल कैमरों में इन अनोखे क्षणों को कैद करते हैं।
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स्थानीय निवासियों का कहना है कि मोनिया नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि बुंदेलखंड की आत्मा का उत्सव है। यह परंपरा न केवल पीढ़ियों को जोड़ती है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से भी जोड़ने का काम करती है।
ओरछा का यह आयोजन अब केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं रहा, बल्कि बुंदेलखंड की लोकसंस्कृति का भव्य उत्सव बन चुका है, जहां भक्ति, कला और परंपरा एक साथ जीवंत दिखाई देती हैं।