{"_id":"68418cfba0d8f251f70136fa","slug":"32-year-old-radha-married-shivji-dausa-news-c-1-1-noi1387-3027115-2025-06-05","type":"video","status":"publish","title_hn":"शिव से विवाह: 32 वर्षीय राधा दीदी ने निभाई अद्भुत परंपरा, बांदीकुई में पहली बार हुआ ऐसा आयोजन","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
शिव से विवाह: 32 वर्षीय राधा दीदी ने निभाई अद्भुत परंपरा, बांदीकुई में पहली बार हुआ ऐसा आयोजन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दौसा Published by: दौसा ब्यूरो Updated Thu, 05 Jun 2025 07:28 PM IST
दौसा जिले के बांदीकुई में स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय केंद्र पर 2 जून को एक अनोखा विवाह समारोह आयोजित किया गया, जिसने पूरे जिले में चर्चा का विषय बना दिया। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की 32 वर्षीय राधा दीदी ने भगवान शिव से प्रतीकात्मक विवाह रचाया। यह विवाह ब्रह्माकुमारी संस्था की विशेष आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है।
इस आयोजन में विवाह की परंपरागत सभी रस्में निभाई गईं। हल्दी, मेहंदी, बारात और कन्यादान तक। विवाह स्थल पर सजाए गए शिवलिंग को राधा दीदी ने वरमाला पहनाई और सात फेरे लिए। इस अनूठे आयोजन को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग एकत्रित हुए।
शिव की आराधना से मिला विवाह का सौभाग्य
राधा दीदी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2014 में बीएससी की पढ़ाई हाथरस से पूरी की और उसी वर्ष से वे ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़ गईं। पिछले 11 वर्षों से वे बांदीकुई सेंटर पर निवास कर रही हैं और लगातार शिव की आराधना कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह विवाह उनकी वर्षों की भक्ति और साधना का फल है।
संस्था की परंपरा के अनुसार होता है ऐसा विवाह
सेंटर प्रभारी ममता दीदी ने जानकारी दी कि बांदीकुई सेंटर पर इस प्रकार का विवाह पहली बार आयोजित हुआ है। ब्रह्माकुमारी संस्था के नियमों के अनुसार, भगवान शिव से इस प्रकार का प्रतीकात्मक विवाह उन्हीं महिलाएं कर सकती हैं जो गृहस्थ जीवन से निवृत्त होकर पूर्ण रूप से आध्यात्मिक साधना में लीन होती हैं। इस विवाह के बाद उन्हें पूरे संसार को अपना परिवार मानकर सेवा में समर्पित जीवन बिताना होता है। उन्होंने बताया कि शिव से प्रतीकात्मक विवाह करने के लिए कम से कम 15 से 17 वर्षों तक भक्ति और तपस्या करनी होती है। यह विवाह संस्था की पूर्ण अनुमति, अभिभावकों की सहमति और आध्यात्मिक नियमों के अनुरूप होता है।
माता-पिता की सहमति आवश्यक
राधा दीदी की मां प्रेमवती और मामा इंदु कुमार ने विधिवत कन्यादान की रस्म निभाई। राधा दीदी ने बताया कि इस प्रकार के विवाह माता-पिता की अनुमति के बिना संभव नहीं होते। उन्होंने बताया कि उनके पिता रोरन सिंह का निधन जब वह केवल आठ वर्ष की थीं, तब एक दुर्घटना में हो गया था।
राष्ट्रीय स्तर पर होगा सम्मान
सेंटर प्रभारी ममता दीदी ने यह भी बताया कि 17 जून से 21 जून तक माउंट आबू में एक भव्य आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर से भगवान शिव से प्रतीकात्मक विवाह करने वाली दीदियों को आमंत्रित किया जाएगा। वहां उन्हें संस्था की ओर से संकल्प प्रमाण पत्र और गोल्ड मेडल प्रदान किए जाएंगे। इस आयोजन का आयोजन बांदीकुई की नंदगांव कॉलोनी स्थित एक निजी मैरिज गार्डन में किया गया था, जहां विवाह जैसी सभी रस्मों को पूरे विधि-विधान और धार्मिक अनुशासन के साथ संपन्न किया गया।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।