गुर्जर समाज की आरक्षण मांगों को लेकर सरकार ने मंत्रिमंडलीय समिति का गठन कर दिया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत को समिति में सदस्य बनाया गया है। इसके अलावा संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम भी समिति में शामिल हैं।
गौरतलब है कि इसी महीने गुर्जर समाज ने महापंचायत आयोजित कर आरक्षण समेत अन्य मुद्दों पर मांगें रखी थीं। महापंचायत के अध्यक्ष विजय बैसला ने सरकार का मसौदा पढ़कर उस पर सहमति दी थी। बैसला ने कहा था कि इस महीने के अंत तक कैबिनेट मीटिंग में इस पर फैसला लिया जाएगा। अब सरकार ने समझौते के अनुरूप कमेटी गठित कर तीन मंत्रियों को सदस्य नियुक्त कर दिया है।
सरकार ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए यह नियुक्तियां की हैं। इस पर मंत्री अविनाश गहलोत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारी सरकार की साफ मंशा है कि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के साथ हुए समझौते के तहत मंत्रिमंडलीय समिति बनाई गई है। समिति संघर्ष समिति द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करेगी और समाधान निकालेगी।
गुर्जर समाज के दो गुटों में बंटने के सवाल पर मंत्री गहलोत ने कहा कि हम उन्हीं मुद्दों पर बात करेंगे जो आरक्षण संघर्ष समिति ने हमारे सामने रखे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी साफ संदेश दिया है कि समझौते के अनुसार ही काम होगा।
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इसी दौरान टोंक में भाजपा जिला अध्यक्षों के आपसी विवाद और हाथापाई के सवाल पर गहलोत ने कहा, “कार्यकाल पूरा होने के बाद नए जिला अध्यक्ष बनाए गए और संगठन का पुनर्गठन किया गया। कुछ लोगों को मंडल से हटाया गया, यह सामान्य प्रक्रिया है। ऐसे में कुछ युवा कार्यकर्ता नाराज हो सकते हैं। जब बड़ा परिवार होता है तो ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं हो ही जाती हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावी होने के आरोपों पर अविनाश गहलोत ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “गहलोत साहब अपने कार्यकाल के बुरे समय को याद करते रहते हैं। अपनी सरकार में जो काम वह नहीं कर पाए, वही आरोप अब हमारी सरकार पर लगाते रहते हैं। दोनों ही अपना-अपना काम कर रहे हैं।”
वहीं हाल ही में अधिकारियों को खड़े होकर स्वागत करने और चाय पिलाने के कथित निर्देशों के सवाल पर मंत्री गहलोत ने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं, उनका मान-सम्मान जरूरी है। कोई भी सरकार हो, कार्यकर्ताओं की बात सुनी जानी चाहिए।