राजस्थान के कोटा जिले में इस बार 132वें राष्ट्रीय दशहरे मेले में इतिहास रचा जा रहा है। दशहरा मैदान में 221 फीट ऊंचे रावण के पुतले को तैयार कर खड़ा कर दिया गया है, जो अब तक का विश्व का सबसे बड़ा रावण पुतला माना जा रहा है। चार महीने की मेहनत और करोड़ों की लागत से तैयार यह पुतला न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है।
विश्व रिकॉर्ड की ओर कोटा
करीब 44 लाख रुपये की लागत से तैयार इस विशाल पुतले को दिल्ली से आए रिकॉर्ड विशेषज्ञों ने भी देखा। एशिया रिकॉर्ड और वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीमों ने पुतले के निर्माण और उसकी मजबूती का निरीक्षण किया। यह पुतला अब तक के दिल्ली के 210 फीट और चंडीगढ़ के अधूरे 221 फीट रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए सफलतापूर्वक खड़ा किया गया है।
तकनीकी मजबूती और संरचना
पुतले को खड़ा करने के लिए 26×24 आईसीसी फाउंडेशन तैयार किया गया। इसे मजबूती देने के लिए 8 स्टील जैक रोड और लोहे की रस्सियों का सहारा लिया गया। साथ ही 220 टन और 100 टन की हाइड्रोलिक क्रेनों का इस्तेमाल किया गया। लगभग 13,000 किलो वजनी यह पुतला पूरी तरह लोहे के स्ट्रक्चर पर आधारित है। इसका चेहरा 25 फीट का है जिसे फाइबर ग्लास से बनाया गया है, जबकि 60 फीट का मुकुट रंग-बिरंगी एलईडी लाइटों से सजाया गया है। रावण के हाथ में 50 फीट लंबी तलवार और पैरों में 40 फीट की जूतियां रखी गई हैं।
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कुंभकरण और मेघनाथ भी बने आकर्षण
रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ के भी 60-60 फीट ऊंचे पुतले तैयार किए गए हैं। रावण पुतले में 15,000 ग्रीन पटाखे और 25 रिमोट कंट्रोल सिस्टम लगाए गए हैं, जबकि कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों में चार-चार हजार ग्रीन पटाखे और 10-10 रिमोट कंट्रोल लगाए गए हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
पुतले को देखने आने वाले हजारों दर्शकों को ध्यान में रखते हुए दशहरा मैदान के आसपास 150 फीट की परिधि में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। अधिकारियों की मौजूदगी में भूमि पूजन के बाद इस विशाल पुतले को खड़ा किया गया।
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