जानकारी के अनुसार, यह खनन परियोजना पिंडवाड़ा क्षेत्र की चार ग्राम पंचायतों वाटेरा, भीमाना, भारजा एवं रोहिड़ा के करीब 11 से अधिक गांवों को प्रभावित करने जा रही है। कुल 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर चूना पत्थर खनन का प्रस्ताव रखा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना उनके खेत-खलिहान, जलस्रोत, पहाड़ और वनों के अस्तित्व को मिटा देगी। क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्रोत, वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र और उपजाऊ भूमि पर संकट मंडराने लगा है। ग्रामीणों का कहना था कि यह सिर्फ खनन का नहीं, अस्तित्व का सवाल है। यह परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन, भूजल स्तर और खेती को पूरी तरह नष्ट कर देगी। खनन से हमें रोजगार नहीं मिलेगा, बल्कि उजाड़ मिलेगा। हमारी धरती, हमारे जंगल, हमारे देवस्थान सब नष्ट हो जाएंगे।
थम्ब बाबा मंदिर में हुई निर्णायक बैठक
बीती शाम वाटेरा के प्रसिद्ध थम्ब बाबा मंदिर प्रांगण में ग्रामवासियों की एक बड़ी बैठक आयोजित की गई, जिसमें ग्रामीण प्रतिनिधि, महिलाएं, युवा, किसान और बुजुर्ग बड़ी संख्या में शामिल हुए। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन अब केवल वाटेरा या किसी एक गांव का नहीं, बल्कि पूरे अरावली अंचल की अस्मिता की लड़ाई बन चुका है। गांव के युवाओं ने कहा कि हम अपनी जमीन नहीं बेचेंगे, अपनी धरती नहीं खोदने देंगे। यह संघर्ष जल, जंगल और जीवन की रक्षा के लिए है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आने वाली 14 अक्तूबर (मंगलवार) को पिंडवाड़ा उपखंड कार्यालय का महाघेराव किया जाएगा। इस दिन जिलेभर के किसान, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और हजारों ग्रामीण एकत्र होकर सरकार से परियोजना निरस्त करने की मांग करेंगे।
सरकार को दी चेतावनी, नहीं माना तो होगा उग्र आंदोलन
ग्रामीणों ने बैठक में एक स्वर में सरकार को चेतावनी दी कि अगर खनन परियोजना को तुरंत निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो जयपुर, दिल्ली में भी रैली निकाली जाएगी। “सरकार ने अगर हमारी आवाज नहीं सुनी, तो हम सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करेंगे।”
भारजा में भी ग्रामीण हुए एकजुट
वाटेरा के साथ-साथ भारजा गांव में भी गुरुवार को बैठकों का दौर जारी रहा। भारजा में ग्रामीणों ने पंचायत क्षेत्र में बैठक कर रणनीति तय की और आसपास के गांवों में जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया। भारजा और वाटेरा में महिलाओं ने भी आंदोलन का मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों का भविष्य बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
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क्षेत्र में जागरूकता और एकता की नई लहर
पिछले एक सप्ताह से लगातार रैलियां, सभाएं और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हर गांव में लोग अपने स्तर पर बैनर-पोस्टर बनाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। युवाओं ने सोशल मीडिया पर भी “धरती बचाओ आंदोलन” नाम से अभियान चलाया है, जो तेजी से फैल रहा है।