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VIDEO: करोड़ों रुपए की एचटी लाइन, लेकिन नहीं बही एक भी यूनिट बिजली: 10 साल से जंग खा रहे खंभे, तार काट रहे चोर
करीब दस साल पहले जब हैदरगढ़ से रामसनेहीघाट के बीच 33 हजार विद्युत क्षमता की हाईटेंशन लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था, तब ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई थी। बताया गया था कि यह लाइन न केवल इलाके की बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी बल्कि रामसनेहीघाट डिवीजन से हैदरगढ़ को सीधा जोड़ेगी, जिससे वोल्टेज समस्या और कटौती की समस्या खत्म हो जाएगी। पर हकीकत यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से तैयार यह लाइन आज भी ठप पड़ी है।
लगभग 300 खंभे गाड़े गए, महीनों तक काम चला, पर न तारों में करंट दौड़ा और न ही गांवों की अंधेरी गलियों में रौशनी पहुंची। आसपास के गांवों के लोग बताते हैं कि जब यह लाइन बिछाई जा रही थी, तो अधिकारियों ने दावा किया था कि इससे गांवों की बिजली व्यवस्था पूरी तरह बदल जाएगी। लेकिन दस साल बीतने के बाद भी इस लाइन में एक यूनिट बिजली नहीं प्रवाहित हुई।
अकोहरी के ग्रामीण पंकज कुमार बताते हैं कि हम लोगों कहा गया था कि अब हैदरगढ़ की बिजली सीधे रामसनेहीघाट से आएगी, बार-बार फॉल्ट नहीं होगा। पर यहां तो खंभे गिर गए, तार गायब हो गए और प्रोजेक्ट का नाम तक कोई नहीं लेता। लाइन की स्थिति देखकर साफ है कि यह अब जंग और लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है। कई खंभे टूटकर खेतों में गिरे पड़े हैं, कहीं-कहीं तार काटकर ले जाए गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि न तो विभाग ने कभी मरम्मत की, न निगरानी रखी। कुछ जगहों पर खंभों के नीचे घास-फूस और झाड़ियां उग आई हैं, जो यह बताने के लिए काफी है कि पिछले कई सालों से यहां कोई गतिविधि नहीं हुई। बुजुर्ग निवासी ने कटाक्ष भरे लहजे में क कहा कि अगर इतने करोड़ रुपये खर्च करने थे तो गरीबों को मकान दे देते, कम से कम कुछ काम आता। यहां तो करोड़ों बर्बाद कर दिए और कोई पूछने वाला नहीं है।
पावर कॉरपोरेशन की अधीक्षण अभियंता राजबाला से लेकर हैदरगढ़ के अधिशासी अभियंता रमेश कुमार तक से जब इस प्रोजेक्ट की स्थिति के बारे में पूछा गया तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। राजबाला ने बस इतना कहा,
यह पुराना प्रोजेक्ट है, रिकॉर्ड देखने के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।
वहीं रमेश कुमार का कहना था कि जल्द ही देवीगंज से रामसनेहीघाट तक लाइन शुरू होगी। दूसरी योजना से मरम्मत का काम चल रहा है।
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