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VIDEO: कैसे रुके हादसे? न व्यवस्था ठीक, न जागरूकता…30 दिन में 71 हजार चालान, 43 हजार बिना हेलमेट
(श्रुतिमान शुक्ल) बाराबंकी। सड़क हादसों के मामले में बाराबंकी का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि बीते एक साल में हर 16 घंटे में एक मौत सड़क पर दर्ज हुई है। हाईवे से लेकर गांव की सड़कों तक नियमों की अनदेखी अब आम बात हो गई है। बाराबंकी–बहराइच हाईवे पर पैदल चलना भी जोखिम भरा हो चुका है, जबकि हैदरगढ़ मार्ग पर कई जगह फुटपाथ तक गायब हैं। इसके साथ ही मालवाहनों पर बैठकर सफर करने की पुरानी परंपरा आज भी जारी है, जो कई हादसों को दावत दे रही है।
यातायात जागरूकता माह भले ही बड़े दावों के साथ मनाया गया लेकिन पूरा महीना जिले की हकीकत उजागर कर गया। 30 दिनों में पुलिस ने 71,572 चालान किए, जिनमें सबसे ज्यादा लोग बिना हेलमेट पकड़े गए। अकेले 43,161 बाइक सवारों को बिना हेलमेट चलने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ा। यही नहीं, शहर और कस्बों में अवैध व गलत पार्किंग बड़ी समस्या बनकर सामने आई और 17,991 वाहनों पर गलत पार्किंग में चालान किया गया।
इतने ही नहीं, सड़क पर बिना दस्तावेज और नियमों को ताक पर रखकर वाहन चलाने वालों की भी कमी नहीं रही। पूरे माह के दौरान 5,013 लोग बिना ड्राइविंग लाइसेंस ही वाहन चलाते मिले, जिन पर पुलिस ने कार्रवाई की। ओवरलोडिंग भी लगातार बड़ी चुनौती बनी रही। कई चालक सीट बेल्ट नहीं लगा रहे थे, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चला रहे थे और रेड लाइट तोड़ने से भी नहीं चूक रहे थे। जिन पर सम्मिलित रूप से सख्त कार्रवाई की गई।
यातायात माह के समापन पर एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने भी माना कि “ऐसे नहीं चलेगा, सड़क सुरक्षा सबकी जिम्मेदारी है।” लेकिन जमीनी तस्वीर यह बताती है कि न सड़कें दुरुस्त हैं, न व्यवस्था मजबूत और न ही लोग जागरूक।
पिछले 5 साल में 1,600 से अधिक मौतें जिले में सड़क हादसों में दर्ज की जा चुकी हैं। यही कारण है कि शासन ने बाराबंकी को संवेदनशील जिला घोषित किया है। सड़कों पर फैली अराजकता, ढीली व्यवस्था और कम होती जागरूकता...इन्हीं सबके बीच सबसे बड़ा सवाल वही है: आखिर हादसे रुकेंगे कैसे?
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