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क्या होता है श्रावणी उपाकर्म, आचार्य से जानें- काशी की परंपरा की खासियत
सतुआ बाबा आश्रम के आचार्य महामंडलेश्वर संतोष दास ने कहा कि श्रावण पूर्णिमा को भाई-बहन रक्षा सूत्र बांधकर एक-दूसरे की रक्षा का वचन लेते हैं। ब्राह्मणजन श्रावणी उपाकर्म करने के बाद अपने गुरुजनों से आशीर्वाद के रूप में रक्षा सूत्र बांधते हैं और काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के पश्चात ऋषि पूजन तथा यज्ञोपवीत पूजन पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी धर्म-कर्म में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है, जिसका उदाहरण कुंभ के मेले की भीड़ है। सनातन का सूर्य युवाओं में पुनः जाग्रत होता दिख रहा है। श्रावणी उपाकर्म में भाग लेने वालों में ओमकार मिश्रा, सूरज, रघुनाथ विनायक बादल, मनीष सहित हजारों की संख्या में ब्राह्मण उपस्थित रहे।
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