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VIDEO : Memories of Independence Vidyadhari song first patriotic at brothel in Kashi she give money to revolutionaries
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VIDEO : विद्याधरी ने काशी में कोठे पर गाया था देशभक्ति का पहला मुजरा, क्रांतिकारियों को देती थीं पैसे
''चुन-चुन के फूल ले लो, अरमान रह न जाए, ये हिंद का बगीचा गुलजार रह न जाए, कर दो जाबन बंदी, जेलों में चाहे भर दो, माता में कोई होता कुर्बान रह न जाए''......यह किसी क्रांतिकारी, कवि या शायर की पंक्तियां नहीं बल्कि भारत का पहला देशभक्ति मुजरा है, जिसे चंदौली के जसुरी गांव की सुर साम्राज्ञी विद्याधरी बाई ने काशी के एक कोठे पर गाया था।
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