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VIDEO : शब्द और सुर का अभेद ही काशी की सांस्कृतिक पहचान, अर्पित हुआ साहित्य का राग-भोग
संगीत लहरियों की ऊर्जा और काशी की महत्ता का मेल ही काशिपुराधिपति महादेव की नादयात्रा की पूर्ण अभिव्यक्ति है। रविवार की शाम इस आध्यात्मिक अनुष्ठान में संगीत के साथ-साथ साहित्य का भी राग-भोग भी अर्पित हुआ। संस्कार भारती, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से नादयात्रा का आयोजन सभा भवन में हुआ। रविवार को कार्यक्रम की शुरुआत शास्त्रीय गायक डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय ने राग भीम पलासी में छोटा ख्याल से की। अगली प्रस्तुति में उन्होंने उसी राग का तराना जा-जा रे अपने मंदिरवा... की अवतारणा की। बनारस घराने के तबलावादक उदय शंकर मिश्र ने एकल तबला वादन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष सुनील विश्वकर्मा के आशीर्वचन और संस्कार भारती के ध्येय गीत के गायन से हुआ। सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर डॉ. आरबी शर्मा ने कलाकारों का सम्मान किया। संचालन रोहित मिश्र ने किया। इस दौरान प्रमोद पाठक, प्रेम नारायण सिंह, संजय सिंह, दीपक शर्मा, तनुश्री राय, श्रीदेवी की उपस्थिति रही।
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