सब्सक्राइब करें

'उग हो सूरज देव' गीत से शुरु हुआ छठ पूजन, घाटों की खूबसूरती देख आपभी कहेंगे जय हो छठ मईया

यूपी डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: प्रभापुंज मिश्रा Updated Fri, 01 Nov 2019 12:21 AM IST
विज्ञापन
Chhath is an ancient Hindu Vedic festival
छठ पूजन के लिए सज गए घाट - फोटो : अमर उजाला
संतान के कष्टों को दूर करने के लिए रखा जाने वाला छठ व्रत गुरुवार को नहाय खाय से शुरू हो गया। सुबह घर की  सफाई के बाद महिलाओं ने स्वच्छ होकर शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाया। इसके बाद शाम को स्नान और पूजा-अर्चना के बाद कद्दू व चावल का बना प्रसाद ग्रहण किया। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गई।

 
Trending Videos
Chhath is an ancient Hindu Vedic festival
छठ पूजन के लिए तैयार घाट - फोटो : अमर उजाला
छठ पर्व का समापन तीन नवंबर को उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के बाद होगा। सूर्य संहिता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी, षष्ठी, सप्तमी को छठ पर्व मनाया जाता है। पूर्वांचल और बिहार क्षेत्र में इस व्रत की बड़ी मान्यता है। छठ व्रत को द्वापर युग में द्रौपदी, कर्ण और भीष्म पितामह ने भी रखा था।

 
विज्ञापन
विज्ञापन
Chhath is an ancient Hindu Vedic festival
छठ पूजन के लिए तैयार घाट - फोटो : अमर उजाला
ऐसी मान्यता है कि इस दिन नहाने के बाद गीले वस्त्रों से संतान को पोंछा जाता है ताकि भगवान सूर्य बच्चे को दीर्घायु का आशीर्वाद दें। गुरुवार को व्रत नहाय-खाय से शुरू हो गया। शुक्रवार को खरना यानी छोटी छठ पर महिलाएं लौका भात का प्रसाद ग्रहण करेंगीं। माताएं ठेकुआ (गेहूं की रोटी की तरह) बनाएंगी। दो नवंबर को डाला छठ में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। डाला छठ के अगले दिन यानी तीन नवंबर को उगते हुए सूर्य को गाय के कच्चे दूध से अर्घ्य देकर संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना की जाएगी। 

 
Chhath is an ancient Hindu Vedic festival
छठ पूजन के लिए तैयार घाट - फोटो : अमर उजाला
आचार्य पवन तिवारी और आचार्य दीपक पांडेय ने बताया कि पूर्वांचल एवं मगध प्रदेश (बिहार आदि क्षेत्र में) में सूर्य की पत्नी ऊषा के पूजन का विधान है। इनको छठ माता अथवा षष्ठी माता भी कहते है। ऐसी मान्यता है कि जहां सूर्य में तीव्रता एवं क्रोध है वहीं, माता ऊषा में समृद्धि एवं सौभाग्य प्रदान करने की क्षमता है। इस कारण छठ पूजन प्रातकाल एवं सांध्यकाल में किया जाता है जबकि सूर्यदेव प्रचंड रूप में न हों।

 
विज्ञापन
Chhath is an ancient Hindu Vedic festival
छठ पूजन के लिए तैयार घाट - फोटो : अमर उजाला
सूर्य की छठी पत्नी होने के कारण इनको षष्ठी देवी भी कहते है। छठ माता के पूजन से आरोग्यता, समृद्धि, संतान सुख मिलते हैं। षष्ठी माता को पवित्रता का भी प्रतीक माना जाता है। माता को ठेकुआ का प्रसाद काफी पसंद है। इनके पूजन का महत्व इसी से समझा जाता है कि 16 संस्कारों में छठी नहीं होते हुए भी हर नवजात शिशु की छठी मनाना अनिवार्य है।  
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed