सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Prayagraj News ›   Fathers Day: Yash Dayal rose from his father's school to international cricket

Fathers Day : पिता की पाठशाला से निकलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुंचे यश दयाल

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sun, 15 Jun 2025 05:02 PM IST
विज्ञापन
सार

फादर्स डे हर साल हमें पिता के उस त्याग, समर्पण और प्यार की याद दिलाता है, जो वे निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों के लिए करते हैं। कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो इस रिश्ते को शब्दों से भी आगे ले जाती हैं।

Fathers Day: Yash Dayal rose from his father's school to international cricket
क्रिकेटर यश दयाल अपने पिता के साथ। - फोटो : अमर उजाला।
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

फादर्स डे हर साल हमें पिता के उस त्याग, समर्पण और प्यार की याद दिलाता है, जो वे निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों के लिए करते हैं। कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो इस रिश्ते को शब्दों से भी आगे ले जाती हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के गेंदबाज यश दयाल और उनके पिता चंद्रपाल दयाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। हर सपने की नींव कहीं न कहीं पिता के मजबूत कंधों पर ही टिकी होती है। यश दयाल की सफलता इसकी मिसाल है।

loader
Trending Videos

 

चकिया करबला निवासी चंद्रपाल दयाल खुद तेज गेंदबाज रह चुके हैं। 80 और 90 के दशक में विजय हजारे ट्रॉफी में खेल चुके चंद्रपाल का सपना था कि वह बड़े स्तर पर क्रिकेट खेलें। परिस्थितियों की वजह से उनका सपना अधूरा रह गया, लेकिन यह अधूरा सपना उनके बेटे यश के लिए एक लक्ष्य बन गया। यश जब महज सात साल के थे, तभी से उन्होंने क्रिकेटर बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। पिता ने बेटे के इस जुनून को पहचाना और उसका पूरा साथ देने का फैसला किया। घर के पास ही एक छोटे से मैदान में पिता-पुत्र की नेट प्रैक्टिस शुरू हुई।

विज्ञापन
विज्ञापन

 

यश को घंटों खुद मैदान पर अभ्यास कराना, गेंदबाजी की बारीकियां सिखाना और हर छोटी गलती पर ध्यान देना पिता की दिनचर्या बन गई थी। चंद्रपाल ने बेटे को घर पर ही गेंदबाजी की बारीकियां सिखानी शुरू कर दीं। जब यश दस साल के हुए तो पिता ने उन्हें मदन मोहन मालवीय स्टेडियम भेजा, जहां कोच अमित पाल ने उनके हुनर को तराशना शुरू किया। इसके बाद यश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैदान पर घंटों पसीना बहाते रहे। उनके आदर्श जहीर खान रहे, जिनकी गेंदबाजी से सीख लेकर यश ने अपने एक्शन और स्विंग को निखारा।


कभी मुहल्ले के बच्चे यश से बनाते थे दूरी

यश के पिता याद करते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब मोहल्ले के लोग अपने बच्चों को यश के साथ खेलने नहीं देते थे। लोग शिकायत करते थे कि यश तो खुद बर्बाद हो रहा है, हमारे बच्चों को भी बिगाड़ रहा है, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। बेटे पर भरोसा रखा और हर बाधा में उसके साथ खड़े रहे। चंद्रपाल कहते हैं, मैंने कभी यश पर क्रिकेटर बनने का दबाव नहीं डाला।


यह खुद उसका सपना था। मैंने बस उसका साथ दिया। धीरे-धीरे यह सपना पूरे परिवार का बन गया। मां राधा की आंखों में भी बेटे की सफलता पर गर्व और दुआओं का सागर उमड़ता है। पिता के क्रिकेटर बनने के अधूरे सपने को यश ने पूरा किया। उनका चयन भारत की टेस्ट और वनडे टीम में हो चुका है। यश दो बार आईपीएल विजेता टीम के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने अब तक अपने आईपीएल कॅरिअर में 43 मैचों में 41 विकेट झटके हैं।



 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed