प्रसिद्ध लोक और भक्ति गायिका मैथिली ठाकुर, जिनकी आवाज में एक अलग ही जादू है। गायिका इन दिनों राजनीति की वजह से चर्चा में हैं। सिंगर भाजपा पार्टी में शामिल हो गई हैं, अब उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। चलिए नजर डालते हैं मैथिली ठाकुर के जीवन पर। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लोक और भक्ति गायिका मैथिली ठाकुर मंगलवार को पटना में भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की उपस्थिति में भाजपा पार्टी में शामिल हो गईं। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वो चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि उनका चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है। मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। उनके पिता रमेश ठाकुर और माता भारती ठाकुर दिल्ली में रहते हैं, जो शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। गायिक का बचपन से ही संगीत के प्रति रुझान था, उन्होंने चार साल की उम्र से ही अपने दादा से संगीत सीखना शुरू किया और दस साल की उम्र तक जागरणों और स्थानीय संगीत समारोहों में कार्यक्रमों में प्रस्तुति देने लगीं। मैथिली की संगीत यात्रा 2011 में शुरू हुई, जब वह जी टीवी में प्रसारित होने वाले लिटिल चैंप्स नामक एक रियलिटी शो में दिखाई दी थीं। इसके बाद साल 2017 में गायिका ने 'राइजिंग स्टार' के सीजन 1 में 'ओम नम: शिवाय' गाया, जिसने उन्हें पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने 'होली रे रसिया', 'हरि नाम नहीं तो जीना क्या', 'महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम' से लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गईं। आज गायिका अपने छोटे भाइयों ऋषभ और अयाची के साथ मिलकर भक्ति गानों के साथ बिहार की लोक संस्कृति को भी गानों के जरिए बयां करती हैं।
मैथिली ठाकुर ने बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी। इस मुलाकात की तस्वीर सामने आने के बाद बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा गर्म हो गई कि मैथिली बीजेपी से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। मैथिली के चुनाव लड़ने की चर्चाएं इसलिए भी हो रही हैं क्योंकि उनके चुनावी मैदान में आने से वो महिला वोटरों को प्रभावित कर सकती हैं। क्योंकि उनकी लोकप्रियता बिहार में काफी है।