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Indian Army in J&K: Apart from operations against terrorists, soldiers are dying in road accidents.
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Indian Army in J&K: आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के अलावा सड़क दुर्घटनाओं में जा रही सैनिकों की मौत।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Thu, 14 Aug 2025 11:14 AM IST
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जम्मू-कश्मीर में सड़क हादसों में सुरक्षा एजेंसियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तरफ पहाड़ी इलाकों में तैनात सेना व अन्य बलों के लिए आतंकवाद की चुनौती है दूसरी तरफ इन इलाकों में मूवमेंट के दौरान सड़क हादसों से बचना। बीते 21 महीनों में प्रदेश में 20 सुरक्षाकर्मी सड़क हादसों में बलिदान हो गए। इनमें सबसे अधिक संख्या सेना के जवानों की है। सेना के 13 जवान बलिदान हुए हैं।जानकारी के अनुसार, जनवरी 2024 से लेकर अगस्त 2025 तक जम्मू-कश्मीर में सेना, सीआरपीएफ और बीएसएफ के 18 जवानों की जान सड़क हादसों में चली गई। पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर भी सड़क हादसे में बलिदान हो गए। खासकर पहाड़ी इलाके सुरक्षाबलों को रास नहीं आ रहे। पुलिस के सब इंस्पेक्टरों को छोड़ दें तो बाकी सबकी जान पहाड़ी इलाकों में हुए हादसों में गई है। प्रदेश में औसत हर वर्ष 900 लोगों की जान सड़क हादसों में जा रही है। इस तरह के हादसों में जवानों का बलिदान चिंता का विषय है, लेकिन हम पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। नियम, प्रक्रिया और विशेषज्ञता, तीनों के आधार पर सैन्य वाहनों के चालक तैयार होते हैं। वाहन की मूवमेंट से पहले उसका फिटनेस चेक होता है। फिर भी कभी मानव त्रुटि से ऐसे हादसे हो जाते हैं। बावजूद इसके हमारे सुधारात्मक प्रयास जारी हैं।
ये हैं कारण
पहाड़ी इलाकों में खराब सड़कें
यातायात नियंत्रित करने के लिए प्रति एक लाख लोगों पर औसत चार यातायात कर्मी
वाहनों की स्पीड पर अंकुश नहीं
कब और कहां हुए सड़क हादसे जिनमें गई सुरक्षाबलों की जान
20 सितंबर 2024 : बड़गाम सड़क हादसे में तीन बीएसएफ जवान बलिदान
24 दिसंबर 2024: पुंछ सैन्य वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से पांच सैन्यकर्मी बलिदान
4 जनवरी 2025 : बांदीपोरा सड़क हादसे में सेना चार जवान बलिदान
4 मई 2025 : रामबन में सेना के तीन जवान सड़क हादसे में बलिदान
6 मई 2025 : पुंछ के मेंढर में बस दुर्घटनाग्रस्त होने से सेना का जवान बलिदान
7 अगस्त 2025 : उधमपुर में दो सीआरपीएफ कर्मी बलिदान
11 अगस्त : श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर बलिदान
कुलगाम जिले में जारी ऑपरेशन अखल सोमवार को 12वें दिन भी जारी रहा। इस ऑपरेशन में अभी तक सेना के दो जवान बलिदान हुए हैं और 9 घायल हैं। सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया है। अखल के जंगल में सुरक्षाबलों का लगातार तलाशी अभियान लगातार जारी है।पुलिस और सेना के वरिष्ठ अधिकारी 24 घंटे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। बीते शनिवार को ऑपरेशन में आतंकवादियों ने रात में ग्रेनेड दागे थे, जिससे दो जवान बलिदान हो गए। रक्षा सूत्रों के अनुसार, आतंकवादी रात में स्नाइपर राइफल से फायरिंग कर जवानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। घना जंगल और खड़ी चढ़ाई सुरक्षाबलों के जवानों को आगे बढ़ने में चुनौती पैदा कर रही है। ऑपरेशन में ड्रोन, क्वाड कॉप्टर, हेलिकॉप्टर सहित अन्य आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। दहशतगर्दों को ट्रैक करने के लिए खोजी कुत्ते भी लगाए गए हैं। यह इस साल कश्मीर घाटी में अब तक का सबसे लंबा आतंकवाद विरोधी अभियान है। इस ऑपरेशन को सेना की स्पेशल पैरा फोर्स, 9 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर), जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) और सीआरपीएफ के जवान अंजाम दे रहे हैं। क्षेत्र एक घना जंगल होने के कारण ऑपरेशन में समय लग रहा है। बता दें कि कुलगाम के उस पार दमहाल हांजीपोरा का क्षेत्र पड़ता है, जो आगे जम्मू संभाग के रियासी के साथ जुड़ता है।
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