मध्यप्रदेश के खंडवा में मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी दीपावली के पहले अपना काम धंधा छोड़कर धरने पर बैठ गए। विरोध कर रहे इन आउटसोर्स कर्मचारीयों का कहना था कि उनकी कंपनी ने उन्हें अभी तक वेतन, भत्ता, बोनस और एरियर्स नहीं दिया, जबकि इन्हें दीपावली से पहले ही यह सब कुछ मिल जाना चाहिए था। इसके बाद अस्पताल की व्यवस्था चरमराते देख तुरंत ही मैनेजमेंट हरकत में आया और समाधान निकालने के लिए इन्हें मनाने की लंबी कोशिश की गई।
खंडवा जिला अस्पताल में आउटसोर्स पर काम करने वाले यह कर्मचारी ब्लड बैंक, लैबोरेट्री, ब्लड संबंधी जांच, साफ सफाई, वार्ड असिस्टेंस, सिक्योरिटी गार्ड सहित लिफ्ट मेन जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं। इनके धरने पर बैठ जाने से जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पताल की पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई। आनन-फानन में अस्पताल, मेडिकल कॉलेज का मैनेजमेंट और जनप्रतिनिधियों ने बैठकर इस समस्या का हल निकाला, जिसके बाद अब इन कर्मचारियों को दीपावली के बाद 22 तारीख को यह भुगतान होगा।
बता दें कि खंडवा के मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में लगभग 350 कर्मचारी फिलहाल आउटसोर्स पर काम कर रहे हैं। इन्हें अस्पताल की ओर से सीधा भुगतान नहीं होता, बल्कि उनकी कंपनी इन्हें भुगतान करती है। इन कर्मचारियों का कहना है कि वह काफी समय से रुका हुआ एरियर, बोनस और कुछ सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें दीपावली के पहले मिल जाना चाहिए था, लेकिन समय पर नहीं मिलने की वजह से यह सभी कर्मचारी रविवार सुबह से ही धरने पर बैठ गए।
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इधर काम प्रभावित होते ही अस्पताल मैनेजमेंट, रोगी कल्याण समिति के सदस्य और राजनीतिक दलों के लोग इकट्ठा हुए और कंपनी के मैनेजमेंट से बात की। वहीं कंपनी के मैनेजर की ओर से लिखित में यह वादा किया गया की 22 तारीख को सभी कर्मचारियों का भुगतान हो जाएगा, तब जाकर धरना खत्म हुआ।
बता दें कि इस पूरे मामले में रोगी कल्याण समिति में बैठे सत्ताधारी दल के लोग और विपक्ष के जन प्रतिनिधि के बीच भी कई बार गरमा गरम बहस हुई। इस हंगामे के दौरान नगर निगम में विपक्ष के नेता दीपक राठौड़ ने अस्पताल व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन कर्मचारियों के आउटसोर्स का ठेका लेने वाली कंपनी पर शोषण का आरोप लगाया, और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को खूब खरी खोटी सुनाई।