शासन-प्रशासन की अनदेखी और न्याय की लंबी लड़ाई में अपनी जान गंवाने वाले मनरेगा कर्मचारी अनिल खरे की मौत के बाद, परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा। मृतक के परिजनों ने रविवार को विदिशा के दुर्गा नगर चौराहे पर शव रखकर चक्काजाम कर दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में मनरेगा यूनियन संघ के सदस्य और ग्रामीण भी प्रदर्शन में शामिल हुए, जो सरकार से न्याय की मांग कर रहे थे।
अनिल खरे, शिवपुरी जिला पंचायत में मनरेगा कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे। कुछ अनियमितताओं के आरोपों में उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की और वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई में आखिरकार जीत हासिल की। लेकिन न्यायालय के फैसले के बाद भी उन्हें पुनः नौकरी पर बहाल नहीं किया गया। इस अन्याय और मानसिक उत्पीड़न ने उन्हें गहरे अवसाद में धकेल दिया, जिसके चलते उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ और एम्स भोपाल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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मृतक के परिजनों का आरोप है कि यह मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और उत्पीड़न का परिणाम है। मृतक की बेटी नव्या खरे ने कहा कि मेरे पापा को बिना गलती के सस्पेंड किया गया। केस जीतने के बाद भी नौकरी पर नहीं लिया गया। हम न्याय चाहते हैं।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मृतक के परिवार को मुआवजा दिया जाए और उनकी बेटी को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए। चक्काजाम के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और समझाइश देकर स्थिति को नियंत्रण में लिया।
तहसीलदार प्रीति पंथी ने कहा कि यह मामला पुराना है, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। परिजनों को आश्वासन दिया गया है कि इस मामले में उचित कार्रवाई होगी। फिलहाल चक्काजाम खत्म कर दिया गया है, लेकिन परिजनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े आंदोलन पर उतरेंगे।