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Alwar: Municipal elections will be held simultaneously in Rajasthan under One State One Election
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Alwar News: राजस्थान में 'वन स्टेट वन इलेक्शन' योजना, इस बार एक साथ होंगे नगर निकायों के चुनाव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अलवर Published by: अलवर ब्यूरो Updated Mon, 09 Dec 2024 04:06 PM IST
वन स्टेट वन इलेक्शन योजना के तहत इस बार जिले में नगर निकायों के चुनाव एक साथ ही कराए जाएंगे। प्रदेश में नगर निगम के अलावा 28 नगर पालिका और सोलह नगर परिषदों के चुनाव होने हैं इनमें से कइयों का कार्यकाल अभी बाकी है।
राजस्थान सरकार की ओर से वर्ष 2025 में 'वन स्टेट वन इलेक्शन' के तहत एक साथ निकाय चुनाव करने की घोषणा की गई है। इसके तहत पूरे राजस्थान में पांच नगर निगम, 28 पालिका और 16 परिषदों में चुनाव होने हैं। ऐसे में निकायों का विस्तार होने के बाद ही चुनाव संपन्न होंगे। इसको लेकर अलवर नगर निगम आयुक्त जितेंद्र सिंह नरुका ने बताया कि नगर निगम चुनाव के लिए वार्डों के सीमांकन के लिए समय अवधि तय कर दी गई है। इसके तहत एक से 30 दिसंबर तक की समय अवधि दी गई है। इसके बाद 31 दिसंबर से 19 जनवरी तक आपत्ति प्राप्त करने का समय दिया गया है। 20 जनवरी से 8 फरवरी तक आपत्ति और नक्शा सहित पत्रावली सरकार को भिजवाने का समय दिया गया है। वहीं 9 फरवरी से एक मार्च तक आपत्तियों का निस्तारण और अनुमोदन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। नरूका ने कहा कि पहले यह नगर परिषद था और अब नगर निगम हो गया है। ऐसे में इसका दायरा बढ़ा है, जिसके चलते ऐसे क्षेत्र जो शहरी क्षेत्र में आ गए हैं। उन्हें भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर इसमें शामिल करने की कार्रवाई की जा रही है।
उधर, निवर्तमान पार्षद अजय पूनिया का कहना है कि 'वन स्टेट वन इलेक्शन' सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक रूप से बेहतर निर्णय है। जहां तक सीमांकन का सवाल है, वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर सीमांकन किया जा रहा है, जो कि गलत है, क्योंकि 2011 की जनगणना के आधार पर आबादी 4 लाख के आसपास थी, जो अब बढ़कर डेढ़ गुना हो गई है। कई ऐसे वार्ड हैं, जहां पर मतदाता अधिक हैं तो कुछ वार्डों में मतदाता बहुत ही काम हैं, जिन्हें अनुपात में लिया जाना चाहिए। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र में शामिल करने पर दो-दो विधायकों की लड़ाई उसके अलावा नेता प्रतिपक्ष और मंत्री हो जाएंगे तो हॉल में बैठाना मुश्किल होगा। ऐसे में शहरी विधानसभा का जो क्षेत्र हैं उसे ही इस परिसीमन में शामिल किया जाना चाहिए।
वहीं, वर्तमान में पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होने को लेकर भी पुनिया कहा कि वर्तमान में स्थिति बेहद खराब है। हर व्यक्ति छोटे-छोटे कामों के लिए पार्षद के पास जाता है। पार्षद की पावर समाप्त हो चुकी है। ऐसे में प्रशासन का सीधा जनता से संबंध होना जरूरी है। इसको लेकर विधायक और मंत्री से भी बातचीत के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि ऐसी व्यवस्था की जाए कि जनता को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
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