राजस्थान के नागौर जिले के बुटाटी गांव स्थित संत चतुरदास महाराज मंदिर में अब से नारियल, मखाना, मिठाई और नकली चांदी से बने मानव अंगों के प्रतीक (जैसे जीभ, हाथ, पैर) को चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंदिर विकास समिति ने यह फैसला मंदिर की पवित्रता बनाए रखने और श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया है।
मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने बताया कि श्रद्धालु जो नारियल लेकर आते हैं, वे कई बार अंदर से सड़े-गले या कीड़ों से भरे होते हैं। जब ऐसे नारियल हवन-कुंड में चढ़ाए जाते हैं तो यज्ञ-हवन की शुद्धता भंग होती है। इसलिए अब से मंदिर में सिर्फ नारियल गट (गोटा) ही चढ़ाने की अनुमति होगी।
इसी तरह, बाजार में मिलने वाले केमिकल युक्त मखानों को भी प्रतिबंधित किया गया है। बताया गया कि यह मखाने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, विशेषकर उन मरीजों के लिए जो पैरालिसिस जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित होकर बुटाटी धाम पर मन्नत मांगने आते हैं।
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मंदिर समिति ने नकली मिठाई पर भी रोक लगा दी है। अध्यक्ष देवेंद्र सिंह के अनुसार, दुकानों पर बिकने वाली मिठाइयों में मिलावट की शिकायतें मिलती रहती हैं, जिससे श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है। अब भक्त अपने घर से बना हुआ चूरमा, ताजा फल और शुद्ध नारियल गट ही चढ़ा सकेंगे।
इसके अलावा, नकली या मिलावटी चांदी से बने मानव अंगों के प्रतीक (जैसे हाथ, पैर, जीभ आदि) पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। समिति का कहना है कि इनमें शुद्ध चांदी नाममात्र होती है और भक्तों से शुद्ध चांदी के नाम पर ठगी की जाती है। इससे मंदिर की पवित्रता भी प्रभावित होती है।
देवेंद्र सिंह ने सभी भक्तों और श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मंदिर में प्रसाद के रूप में केवल शुद्ध, घर का बना चूरमा, ताजे फल-फ्रूट और नारियल गट ही लेकर आएं। नकली या मिलावटी वस्तुएं चढ़ाने से परहेज करें, ताकि मंदिर की पवित्रता और दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।