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Ayodhya: हनुमानगढ़ी सिर्फ धर्मस्थल ही नहीं सामाजिक सरोकार का भी बड़ा केंद्र, शस्त्र और शास्त्र दोनों की दी जाती है शिक्षा
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Ayodhya: हनुमानगढ़ी सिर्फ धर्मस्थल ही नहीं सामाजिक सरोकार का भी बड़ा केंद्र, शस्त्र और शास्त्र दोनों की दी जाती है शिक्षा
रामनगरी के केंद्र में स्थित हनुमानगढ़ी न केवल एक भव्य धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र भी है जहां पीढ़ियों से शस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दी जाती है। इसका सामाजिक सरोकार से भी गहरा रिश्ता है। हनुमानगढ़ी अखाड़ा सामाजिक कार्यों में भी आगे रहता है। हनुमान जी को शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। हनुमानगढ़ी इस भाव की जीवंत अभिव्यक्ति है, जहां संत-महंत केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहते, बल्कि देश की रक्षा, धर्म की रक्षा और समाज सेवा के लिए सतत तत्पर रहते हैं।
हनुमानगढ़ी अखाड़े में 5000 से अधिक साधु-संत रहते हैं। हनुमानगढ़ी की सागरिया पट्टी के उत्तराधिकारी महंत संजय दास बताते हैं कि हनुमानगढ़ी सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर भूमिका निभाती है। महंत संजय दास बताते हैं हर साल सरयू की बाढ़ से हजारों की संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। आपदा के समय हनुमानगढ़ी अखाड़ा की ओर से लंच पैकेट, खाद्य सामग्री बड़े पैमाने पर बाढ़ पीड़ितों को वितरित की जाती है। कोरोना काल में तीन महीने तक लगातार हनुमानगढ़ी की ओर से निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई थी।
हनुमानगढ़ी में समय-समय पर भंडारे, चिकित्सा शिविर, शिक्षा सहायता जैसे सेवा कार्य होते हैं। इनका लाभ समाज के वंचित वर्गों को मिलता है। हनुमानगढ़ी की ओर से संस्कृत विद्यालय व गुरुकुल का भी संचालन होता है। इसमें बड़ी संख्या में बच्चे शास्त्र का ज्ञान ग्रहण कर रहे हैं। हनुमानगढ़ी में कई गोशाला भी हैं, जहां वृहद स्तर पर गोसेवा होती है। यहां के अखाड़ों में राष्ट्रीय स्तर के पहलवान तैयार किए जाते हैं। कुश्ती परंपरा को नया आयाम देने का काम किया जा रहा है।
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