{"_id":"68c56a20bee6b2044e0888cc","slug":"video-bna-rasayanaka-khatha-daragana-fanprta-oura-kal-ka-khata-kara-safalta-ka-nae-aayama-gaugdhha-raha-brabka-ka-sagarama-2025-09-13","type":"video","status":"publish","title_hn":"बिना रासायनिक खाद ड्रैगन फ्रूट और केला की खेती कर सफलता के नए आयाम गढ़ रहे बाराबंकी के संग्राम","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
बिना रासायनिक खाद ड्रैगन फ्रूट और केला की खेती कर सफलता के नए आयाम गढ़ रहे बाराबंकी के संग्राम
बाराबंकी के हरख ब्लॉक के सैदहा गांव निवासी प्रगतिशील किसान संग्राम सिंह ने रासायनिक खाद व कीटनाशक से मुक्ति की जंग जीत ली। कम लागत में अधिक उत्पादन और लाभ देने वाली ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट व केला के साथ सब्जियों की खेती भी प्राकृतिक तरीके से करके स्वस्थ भारत मिशन में भी सहयोगी बने हैं।
ड्रैगन फ्रूट की क्वालिटी व कलर देखकर लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। अक्सर ड्रैगन फ्रूट काटने पर अंदर सफेद गूदे वाले होते हैं, लेकिन संग्राम के खेत के ड्रैगन फ्रूट का गूदा लाल रंग का निकलता है। ऊपर का हिस्सा काटने पर बड़ी आसानी से छिल जाता है। आधा एकड़ में तीन लाख रुपये की लागत से संग्राम सिंह ने ड्रैगन फ्रूट की खेती तीन साल पहले शुरू की। एक बार फसल लगाने पर यह फसल 15-20 साल तक चलते है। पुरानी शाखाएं हटाने पर नई शाखाएं निकलते लगती हैं।
किसान संग्राम सिंह ने बताया कि वह ड्रैगन फ्रूट के साथ केला और सब्जियों की सहफसली खेती करते हैं। एक बेड से दूसरे बेड की दूरी 10 फिट और पौधे से पौधे की दूरी सात फिट रहती है। इससे पौधों के बीच जो जमीन बचती है, उसमें आलू, घुईंया, बैगन, खीरा जैसी सब्जियां उगाते हैं। धूप में ड्रैगन फ्रूट के पौधे खराब न हों, इसके लिए 20 फिट पर केला का पौधा भी रोपते हैं। केला का पौधा बड़ा होकर छांव देने का भी काम करता है। जो ड्रैगन फ्रूट के लिए लाभदायक है।
संग्राम सिंह ने बताया कि एक बार तीन लाख रुपये लगे थे, इसके बाद सिर्फ देखभाल करनी पड़ रही है। रोपाई की लागत निकल गई अब प्रति वर्ष आधा एकड़ में सिर्फ ड्रैगन फ्रूट से एक लाख रुपये तक आमदनी होती है। मौजूदा समय लखनऊ की मंडी में ड्रैगन फ्रूट 250 रुपये किलो के भाव आसानी से बिक जाता है। एक एकड़ में केला की भी फसल लगा रखी है। केला व ड्रैगन फ्रूट के साथ ही सब्जियों में रसायनिक खाद का प्रयोग बिल्कुल नहीं करते हैं। इससे इनकी फसल की गुणवत्ता बेहतर है। गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड, बेसन, प्याज आदि से तैयार की गई खाद और कीटनाशक का प्रयोग करते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में मोटर साइकिल के कटे फटे टायरों का भी सदुपयोग हो रहा है। सीमेंट के पिलर पर ड्रैगन फ्रूट का पौधा चढ़ाया जाता है। पिलर के सिर पर टायर बांध दिया जाता है, इससे टायर के सहारे चारों ओर पौधे की शाखाएं लटकती हैं। उन्हीं शाखाओं में मात्र एक दिन के लिए फूल निकलते हैं। फूल मुरझाने के बाद फल तैयार होता है।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।