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VIDEO: कुत्तों का बढ़ता खतरा, छह महीने में 18 हजार से ज्यादा लोग घायल
गांव और शहर की सड़कों पर बेखौफ घूमते कुत्तों का खतरा अब लोगों की जान पर बन आया है। गर्मी से पहले ही बेहाल लोग अब इन जानवरों के डर से घरों से बाहर निकलने में झिझकने लगे हैं। हालत यह है कि जिले के अस्पतालों में हर दिन आठ से दस लोग घायल अवस्था में पहुंच रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी से 30 जून तक 18,907 लोगों को कुत्तों ने काटा, जिन्हें एंटी रेबीज इंजेक्शन देकर इलाज किया गया। इनमें छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग बड़ी संख्या में शामिल हैं। शहर के मोहल्लों, बाजारों और गांवों की गलियों में सुबह-शाम कुत्तों का झुंड राहगीरों पर झपट पड़ता है।
नगर निवासी सतीश श्रीवास्तव बताते हैं कि हर दिन किसी न किसी को काटे जाने की खबर मिल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि न तो नगर निकाय और न ही ग्राम पंचायतों के स्तर पर इन घटनाओं को रोकने की कोई सक्रिय व्यवस्था है। जबकि कई जिलों में ऐसे मामलों पर नियंत्रण के लिए विशेष टीमें, वाहन और पकड़ अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन अमेठी में यह व्यवस्था लगभग ठप है।
एंटी रेबीज टीके की नहीं है कमी
वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंशुमान सिंह ने बताया कि कुत्ते का काटना कई बार जानलेवा साबित हो सकता है, लेकिन हमारे अस्पतालों में एंटी रेबीज इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था है। जो भी मरीज आता है, उसे तुरंत उपचार और टीके दिए जा रहे हैं।
कुत्तों से बचने और काटने की स्थिति में क्या करें
गौरीगंज सीएचसी अधीक्षक डॉ. राजीव सौरभ ने बताया कि रेबीज का वायरस घातक होता है, लेकिन समय पर टीका लगने से इसका प्रभाव रोका जा सकता है।
-अकेले या सुनसान जगहों पर जाने से बचें
- कुत्तों को छेड़ने या पत्थर मारने जैसी हरकत न करें
- काटने की स्थिति में तुरंत साबुन और साफ पानी से घाव को 10-15 मिनट तक धोएं
- देरी किए बिना अस्पताल जाकर टीका लगवाएं
- घरेलू उपचार के चक्कर में न पड़ें
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