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सीतापुर में दहशत का पर्याय बनी बाघिन पिंजरे में कैद, लोगों ने बयां की पीड़ा
सीतापुर में महोली के नरनी में 30 दिनों से दहशत का पर्याय बनी बाघिन को दुधवा और कतर्निया वन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने शनिवार की देर रात रेस्क्यू कर लिया। बाघिन को इलसिया स्थित वन चेतना पार्क में ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर बने विशेष पिंजरे में रखा गया है।
रविवार की सुबह टीम ने विशेषज्ञों डॉ दीपक व डॉ दयाशंकर से बात की। उन्होंने बताया कि देर रात बाघिन का मूवमेंट हुआ। हम तैयार बैठे थे। जैसे ही बाघिन गन्ने के खेत से निकलकर बाहर खुले में आई। विशेषज्ञों ने ट्रेंकुलाइजर गन से डार्ट फायर किया। एक डार्ट लगने के बाद बाघिन 300 मीटर दौड़ी। इसके बाद बेहोश हो गई। आधे घंटे के अंदर बाघिन को रेस्क्यू कर पिंजरे में कैद कर लिया गया।
इलसिया में बाघिन को 10 किलो मीट खाने को दिया गया। हालांकि इस दौरान बाघिन काफी गुस्से में नजर आई। वन विभाग के कर्मियों के अनुसार, बाघिन को कहां छोड़ा जाएगा, इसे लेकर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
महोली नरनी के रहने वाले शोभित दीक्षित के भाई रवि दीक्षित को बाघिन ने 22 अगस्त को निवाला बना लिया था। उन्होंने अपनी पीड़ा बताई। वहीं नरनी निवासी ग्रामीण मोहित ने भी दहशत के दिनों की पीड़ा बयां की।
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