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काशी गंगा महोत्सव... सुर, लय और नृत्य की अविरल धारा में बहा राजघाट का किनारा
काशी गंगा महोत्सव के चौथे दिन सुर, लय और नृत्य की अविरल धारा में राजघाट का किनारा बहा। काशी गंगा महोत्सव के चतुर्थ चरण की शुरुआत अदिति जायसवाल और नेहा चौहान की युगल भरतनाट्यम की प्रस्तुति से हुई। नृत्य की शुरुआत पुष्पांजलि से हुई। इसमें नर्तकियों ने गुरु और देवता के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। इसके उपरांत अर्द्धनारीश्वर रूप के माध्यम से शिव और शक्ति के अद्वैत भाव को अभिव्यक्त किया। अंत में तिल्लाना की लय, गति और भाव का अद्भुत समावेश हुआ। डॉ. प्रेम किशोर मिश्र ने सितार, पं. सुखदेव मिश्र ने वायलिन और पं. अंशुमान महाराज ने सरोद वादन से सभी का मन मोह लिया। शुरुआत राग बागेश्री में मध्य एकताल की बंदिश “अपने गरज पकड़ लीनी बहिया...” से हुई। इसके बाद द्रुत तीनताल में निबद्ध रचना और समापन तीनताल के तराने से हुआ।
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