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Bihar Elections 2025: Preparations for the Bihar Assembly elections are in full swing, with the people of Tara
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Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर, मुंगेर के तारापुर के लोगों ने की ये मांग
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Tue, 21 Oct 2025 03:12 PM IST
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ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत का संघर्ष सिर्फ बड़े आंदोलनों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि देश के हर हिस्से, हर गली-मोहल्ले में लड़ा गया। इसमें बिहार का तारापुर भी शामिल था। मुंगेर जिले के इस गांव के लोग 1932 में औपनिवेशिक ब्रिटिश पुलिस की गोलीबारी में शहीद हुए लोगों की याद में भव्य समारक बनाने की मांग कर रहे हैं। उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की याद दिलाने के लिए शहीद स्वतंत्रता सेनानियों की पट्टिका और प्रतिमाएं पहले से ही स्थापित की जा चुकी हैं। 15 फरवरी 1932 को कई लोग ब्रिटिश झंडे यूनियन जैक को लगाने के विरोध में स्थानीय पुलिस स्टेशन पर भारतीय ध्वज फहराने के लिए इकट्ठे हुए थे। मुंगेर के तारापुर निवासी उमेश कुशवाहा ने कहा कि, 1932 में यहां पर जो मूर्ति देख रहे हैं शहीद हुआ था। थाना से गोली चला था। डाकबंगला से यहां के जो लोग शहीद हुए वो लोग झंडा फहराने में आगे रहे और उधर से गोलियों की बारिश हो रही थी।
तारापुर के लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों के बलिदान को उसी तरह का सम्मान दिया जाना चाहिए, जैसा 1919 में जलियांवाला बाग और 1922 में चौरी चौरा हत्याकांड में मारे गए लोगों को दिया गया। तारापुर के जयराम विप्लव ने कहा- तारापुर का ब्रिटिशकालीन थाना भवन है ये जहां पर 34 लोगों की शहादत हुई। बिहार का सबसे बड़ा बलिदान है। तारापुर निवासी मनमोहन चौधरी ने कहा कि, इस घटना को हम लोगों ने बहुत ऊपर उठाया और प्रधानमंत्री मोदी तक ये बात गई। उन्होंने इस घटना पर आश्चर्य व्यक्त किया कि ये तारापुर की घटना है इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। लोगों का कहना है कि तारापुर में एक भव्य स्मारक उन आम भारतीयों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने उस समय असाधारण काम किया, जब देश को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।
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