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VIDEO : ऊना में सुक्खू सरकार पर बरसे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल
हिमाचल प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था के प्रति प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की उदासीनता इस बात की ओर स्पष्ट संकेत करती है कि इन मामलों में सरकार के लोगों की भारी संलिप्तता है। यह बात डॉ. बिंदल ने ऊना में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कही। कहा कि विगत ढाई वर्षों में हिमाचल प्रदेश में सत्ता का नियत्रंण माफिया के हाथ में चला गया है। खनन माफिया, शराब माफिया, कबाड़ माफिया, वन माफिया, ट्रांसफर माफिया, चिट्टा माफिया निरंतर प्रदेश की संपदा को लूटने में लगा है, प्रदेश की जनता को डूबोने में लगा है परन्तु कांग्रेस सरकार जनता के भारी आंदोलनों के बावजूद मूकदर्शक बनकर बैठी है। इसका अभिप्राय स्पष्ट है कि सत्ता और माफिया मिलकर काम कर रहे हैं। 2023 के प्रारंभ में जब चंबा में दलित युवक की नृशंस हत्या हुई, काश उस समय कांग्रेस सरकार ने गंभीरता बरती होती तो लगातार हो रहे खून, बलात्कार, डकैती को रोका जा सकता था जबकि इन वारदातों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है और प्रदेश खौफ के साये में पहुंचता जा रहा है। विमल नेगी की रहस्यमयी मृत्यु ने सुखविन्द्र सरकार पर अनेकों सवालिया निशान लगा दिए हैं और प्रदेश की जनता चिल्ला-चिल्ला कर पूछ रही है कि उस ईमानदार अधिकारी की मृत्यु के पीछे कौन सा रहस्य है, कौन सा भ्रष्टाचार है, कौन सा दबाव है जो कांग्रेस सरकार सीबीआई जांच से भाग रही है। डॉ. बिंदल ने कहा कि यह पहला अवसर है जब किन्नौर जिला के हजारों भाई-बहन श्री विमल नेगी जी की पत्नी के साथ सड़कों पर न्याय मांगने के लिए उतरे और यह केवल किन्नौर नहीं बल्कि प्रदेश के हर हिस्से से सरकार को जगाने की खबरे आ रही है और यह तय है कि प्रदेश की जनता जानकर रहेगी कि विमल नेगी जी की रहस्यमयी मृत्यु के पीछे कौन सा सरकारी षड़यंत्र है। डॉ. बिंदल ने वर्तमान कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश की जनता को ढाई वर्षों में कांग्रेस ने बड़े गड्ढे की तरफ धकेल दिया है। कर्जा अपार, विकास बंद। वित्तीय वर्ष के शुरूआत में ही 900 करोड़ रुपये का कर्ज लेने से साल का मुहूर्त किया है। दो वर्षों में 32 हजार करोड़ रुपये कर्ज सरकार ले चुकी है और इसी गति से यदि कर्ज लेने का सिलसिला चलता रहा तो 5 साल में सुखविन्द्र सिंह सुक्खू सरकार 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले लेगी और विकास के नाम पर धेला नहीं लगेगा। आर्थिक कुप्रबंधन की पराकाष्ठा बिगड़ती कानून व्यवस्था, बेरोजगारों के साथ अन्याय, शोषण, धोखा, महिलाओं, किसानों, आउटसोर्स कर्मचारियों व सामान्य जनमानस के साथ धोखा, यही पहचान सुखविन्द्र सरकार की बनी है।
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