दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ एन. जॉन केम द्वारा की गई सर्जरी से सात मौतें होने का आरोप लगा है। इस डॉक्टर का रसूख ऐसा था कि अस्पताल के जूनियर डॉक्टर भी उसके आगे हाथ बांधे खड़े रहते थे। यह फर्जी डॉक्टर अपने साथ 24 घंटे एक बाउंसर रखता था। इसके पास सूटकेस रहता था, जिसमें डॉक्टर के कई दस्तावेज होते थे। अस्पताल से मिले सीसीटीवी फुटेज में यह देखा जा रहा है कि डॉक्टर के अस्पताल पहुंचने के पहले ही कई जूनियर डॉक्टर उसकी अगवानी के लिए खड़े रहते थे।
खुद ही कार चलता था आरोपी
फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव एक जनवरी को मिशन अस्पताल में पदस्थ हुआ था। यहां से 12 फरवरी को मामले की शिकायत होने के बाद लापता हो गया था। वह जिस कार से अस्पताल ड्यूटी के लिए पहुंचता था उसे वह स्वयं चलता था। इसके लिए उसने कोई भी ड्राइवर नहीं रखा था।
सात लाख के उपकरण चोरी
आरोपी डॉक्टर जब 12 फरवरी को अचानक लापता हो गया वह अपने साथ सात लाख रुपये कीमत के मेडिकल उपकरण ले गया। मिशन अस्पताल की प्रबंधक पुष्पा खरे ने 13 मार्च को एक आवेदन कोतवाली पुलिस में दिया था, जिसमें उन्होंने बताया कि डॉ. नरेंद्र उर्फ जान केम 12 फरवरी से अचानक लापता हो गया। उसके पास सात लाख रुपये कीमत के मेडिकल उपकरण भी हैं। जब कई दिनों तक वह अस्पताल नहीं पहुंचा तो इस बात की जानकारी भोपाल की उसे एजेंसी को भी दी गई, जिसके माध्यम से डॉक्टर की नियुक्ति हुई थी, लेकिन एजेंसी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। साथ ही डॉक्टर अस्पताल में उपस्थित नहीं हुआ और ना ही वह उपकरण अस्पताल में मिला।
आठ लाख रुपये महीने का था पैकेज
मामले में यह बात भी सामने आई है कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव सालाना 96 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी करने के लिए मिशन अस्पताल आया था। इसमें आठ लाख रुपये हर महीने उसको वेतन देने की बात हुई थी। मरीजों की मौत का मामला सामने आने के बाद वह गायम हो गया था।
प्रियंक कानूनगो ने उठाया मामला
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर फर्जी डॉक्टर और मरीजों की मौत की की जानकारी दी तो पूरे जिले में हड़कंप मच गया। तत्काल ही जांच कमेटी जांच के लिए तैयार हुई। आरोपी की डिग्रियों का सत्यापन करने के बाद उस पर मामला दर्ज किया गया। सोमवार की रात आरोपी को प्रयागराज से गिरफ्तार कर दमोह लाया गया और मंगलवार को उसे न्यायालय में पेश किया गया जहां से पांच दिन की रिमांड पर पुलिस को दिया गया है। 13 अप्रैल को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस बीच दिल्ली से आई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने तीसरे दिन भी मिशन अस्पताल में पीड़ितों के बयान दर्ज किए। पीड़ितों के बयान व अब तक की जांच को लेकर आयोग ने कुछ खुलासा नहीं किया है।
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