जिले के कडूकि गांव की महिलाओं ने पानी की गंभीर समस्या को लेकर मंगलवार को मिनी सचिवालय का रुख किया। हाथों में मटके लेकर पहुंची इन महिलाओं ने अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि जहां अधिकारी मिनरल वाटर पी रहे हैं, वहीं उन्हें जानवरों के लिए छोड़ा गया गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। महिलाओं ने चेतावनी दी कि यदि उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगी, जिससे प्रशासन की कुर्सियां तक हिल जाएंगी।
कडूकि गांव की निवासी रामवती देवी ने बताया कि गांव में पीने के पानी की भारी किल्लत है। उन्हें और उनके परिवार को वही पानी पीना पड़ता है, जो जानवरों को पिलाया जाता है। हालात इतने खराब हैं कि तीन से पांच किलोमीटर दूर दिल्ली-मुंबई हाईवे पर आने वाले टैंकरों से पानी लाना पड़ता है, लेकिन वहां भी कई बार ठेकेदार उन्हें भगा देता है। मजबूरी में जानवरों का झूठा और कीड़े वाला पानी पीना पड़ता है, जिससे छोटे बच्चे बीमार हो रहे हैं।
रामवती देवी ने बताया कि हमने हमारी समस्या को लेकर जिला कलेक्टर को जनसुनवाई में भी शिकायत दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बड़े अधिकारियों को तो मिनरल वाटर मिल जाता है, इसलिए उन्हें हमारी तकलीफों का अंदाजा ही नहीं है। उन्होंने गांव की टूटी सड़कों की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा कि एक साल पहले बनी सड़कें भी खराब हो चुकी हैं।
समाजसेवी फकरुदीन ने बताया कि ग्राम पंचायत ठेकड़ा के कडूकि गांव में पिछले कई वर्षों से पानी की समस्या बनी हुई है। दो वर्षों से यह समस्या और भी विकराल हो गई है। महिलाएं मटकों में पानी भरने के लिए मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं। जल जीवन मिशन के तहत गांव में सिर्फ एक बोरिंग की गई है, लेकिन ना तो लाइन बिछाई गई है और ना ही बोर चालू किया गया है।
फकरुदीन ने बताया कि इस मुद्दे को कई बार जनसुनवाई में उठाया गया लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को जल्द नहीं सुना गया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
गांव की महिलाएं पानी की मांग को लेकर मिनी सचिवालय में धरने पर बैठने की तैयारी से आई थीं, लेकिन प्रशासन के समझाने-बुझाने पर वे फिलहाल लौट गईं। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगी।