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ग्रामीणों की अनोखी परंपरा, आज भी आषाढ़ के अंतिम सोमवार को बाग में बनाकर करते भोज
नेपाल की सीमा से सटे श्रावस्ती के सिरसिया विकास क्षेत्र में सदियों से एक परंपरा चली आ रही है। सीमावर्ती सिरसिया के चिल्हरिया के ग्रामीण आषाढ़ मास के अंतिम सोमवार या शुक्ल पक्ष द्वादशी को घर में चूल्हा नहीं जलाते। आज के दिन पूरा गांव चाहे वह हिन्दू परिवार हो या फिर मुस्लिम, सब एक साथ गांव स्थित बाग में भोजन बनाकर वहीं भोजन करते हैं। सोमवार ग्रामीण कोई काम भी नहीं करते। न कोई मजदूरी करने जाता है न खेती किसानी। सभी के परिवार की महिलाएं बाग में ही चूल्हा जलाकर बनाती हैं। अपने अपने परिवार को भोजन कराती हैं। इस बीच यदि कोई काम पर चला जाए या फिर किसी के घर चूल्हा जले तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ता है। आधुनिकता में जहां लोग एकल परिवार को महत्व देते हैं। वहीं इस गांव की परंपरा आज भी लोगों को एक सूत्र में पिरोए रखने का संदेश देती है।
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