गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के चार छात्रों रचित जैन, जतिन पांचाल, खुशदीप सिंह और नन्नू खराड़ी ने एक अनोखा चार पहिया वाहन ‘रस्ट रनर’ तैयार किया है। उन्होंने वाहन का डिजाइन और निर्माण स्वयं किया। साथ ही वेल्डिंग, वायरिंग और असेम्बली का भी कार्य किया। इस वाहन को 80 सीसी स्कूटी इंजन और जंक यार्ड से एकत्रित अधिकांश पुर्जों से बनाया है, जिसकी लागत 30 हजार रुपये रही।
कुलगुरु प्रो. डॉ. के.एस. ठाकुर और शैक्षणिक सलाहकार डॉ. महिपाल सिंह की उपस्थिति में बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में ‘रस्ट रनर’ की पहली राइड ली गई। छात्रों ने अपने वाहन की कार्यक्षमता का सफल प्रदर्शन किया।
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रस्ट रनर की यह विशेषता
‘रस्ट रंग’ में सिंगल रियर राइट व्हील ड्राइव और ब्रेकिंग सिस्टम है, जबकि स्टीयरिंग के लिए सुजुकी और नैनो की स्टीयरिंग असेंबली का उपयोग किया गया है। वाहन में केवल दो पेडल एक्सीलरेटर और ब्रेक हैं, जो इसे संचालित करने में सरल बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, रियर व्हील्स पर शॉक एब्जॉर्बर, एलईडी फॉग लैंप्स, इंडिकेटर्स, हॉर्न और एक पार्किंग ब्रेक सिस्टम शामिल हैं, जो विशेष रूप से ढलानों पर वाहन को लुढ़कने से रोकता है। वाहन की अधिकतम गति 40 किमी/घंटा है, माइलेज 40 किमी प्रति लीटर है। इस पर दो व्यक्ति सवारी कर सकते हैं।
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कम संसाधनों में नवाचार
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापकों डॉ. जिग्नेश पटेल, नितिन स्वर्णकार और हिमांशु पांड्या के मार्गदर्शन में बने रस्ट रनर की सराहना कर कुलगुरू ने कहा कि यह प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग शिक्षा में प्रैक्टिकल अप्रोच और कम संसाधनों में नवाचार का शानदार उदाहरण है। छात्रों ने स्क्रैप सामग्री का उपयोग कर पर्यावरण के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा दिया है।
भविष्य में सुधार की योजना
चारों छात्रों ने बताया कि यह प्रोजेक्ट तकनीकी ज्ञान को लागू करने का अवसर था। यह बजट के भीतर रचनात्मकता और समस्या-समाधान का अनुभव भी प्रदान करता है। भविष्य में वे इस वाहन में डुअल-व्हील ड्राइव, बेहतर ब्रेकिंग सिस्टम, फ्रंट सस्पेंशन, और सोलर पीवी वाहन में रूपांतरण जैसे सुधार करने की योजना बना रहे हैं। यह वाहन ग्रामीण परिवहन, कैंपस व्हीकल या इलेक्ट्रिक वाहन प्रोजेक्ट के रूप में विकसित होने की क्षमता रखता है। ‘रस्ट रंग’ न केवल तकनीकी नवाचार को दर्शाता है, बल्कि रिसाइकिल्ड सामग्री के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक कदम है।