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अमेठी में कुंती और द्रौपदी के साथ पांडवों ने की थी मां अहोरवा भवानी की पूजा, आज भी उमड़ता जनसैलाब
अमेठी में सिंहपुर ब्लॉक मुख्यालय के करीब अहोरवा भवानी गांव में मां अहोरवा भवानी मंदिर में नवरात्र के पहले दिन भक्तों का सैलाब उमड़ा। इस दौरान भक्तों को लाइन में लंबा इंतजार करना पड़ा। पौराणिक और धार्मिक मान्यता के इस मंदिर से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। मान्यता है कि निसंतान दंपती मां के दर्शन और मंदिर की परिक्रमा करते हैं तो उनकी अरदास पूरी होती है। यही नहीं, माता के चरणों से निकली नीर लगाने से तमाम प्रकार के असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
मंदिर के प्रबंधक सुरेंद्र बहादुर सिंह बताते हैं कि कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां रुके थे। अर्जुन ने आखेट के दौरान देवी मां के दर्शन किए थे। इसके बाद कुंती और द्रौपदी के साथ सभी पांडवों ने मां अहोरवा भावानी की विधि विधान से पूजा की थी। पांडवों ने आखेट के दौरान माता के चरणों की पूजा की थी, इसीलिए देवी का नाम अहोरवा देवी पड़ा।
मंदिर के पुजारी रामसुंदर त्रिवेदी कहते हैं कि क्षत्रिय वंशावली पर गौर करें तो यह क्षेत्र गांडीव बैश के नाम से जाना जाता है। इस कुल के क्षत्रियों की कुल देवी का मां अहोरवा भवानी हैं। बताते हैं कि महाभारत काल के बाद अहोरवा भवानी अदृश्य हो गईं थी। कालांतर में एक चरवाहे को माता के दर्शन मिले। उसकी अपार श्रद्धा और पूजा भाव से दोबारा मां अहोरवा का आविर्भाव हुआ।
पुजारी शिवकुमार तिवारी कहते हैं कि माता की श्रद्धा में आसपास के सैकड़ों गांव के हजारों भक्त प्रतिदिन मां का दर्शन व परिक्रमा करते हैं। मन्नत रखने वाले भक्त पेट के बल लेटकर परिक्रमा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि निसंतान दंपत्ति को माता के दर्शन व परिक्रमा से संतान की प्राप्ति होती है। माता के चरणों से निकली नीर लगाने से तमाम प्रकार के असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही नेत्र विकार भी दूर होते हैं। कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि माता अहोरवा की प्राकृतिक मूर्ति दिन में तीन रूप बदलती है। प्रातः काल में बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था और शाम को वृद्धावस्था के रूप में माता भक्तों को दर्शन देती हैं।
गौरीगंज मुख्यालय से अहोरवा भवानी धाम जाना है तो 36 किलोमीटर का सफर तय करना होगा। पहले मुख्यालय से जायस, फिर तिलोई होते हुए सिंहपुर ब्लॉक मुख्यालय जाना होगा। वहां से महज एक किलोमीटर दूर अहोरवा भवानी गांव है, जहां पर धाम है। लखनऊ से आना है तो लखनऊ-वाराणसी हाईवे से इन्हौंना कस्बे पहुंचेंगे और फिर वहां से महराजगंज (रायबरेली) मार्ग पर छह किलोमीटर दूरी तय करने होगी। रायबरेली से आते है तो महराजगंज होते हुए 42 किलोमीटर सफर तय करना होगा।
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