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VIDEO: Raebareli: अद्भुत हैं सतांव के कोटेश्वर धाम में विराजमान शिवलिंग, सावन में जुटती है भक्तों की भारी भीड़
रायबरेली के सतांव कस्बे की दक्षिण दिशा में एक प्राचीन टीले पर स्थापित कोटेश्वर महादेव मंदिर आस्था का केंद्र है। तीन शिवलिंगों वाले अद्भुत, अलौकिक कोटेश्वर महादेव मंदिर को क्षेत्र में शिव धाम के नाम से जाना जाता है। यहां विराजमान तीन शिवलिंगों के दर्शन मात्र से भगवान आशुतोष प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनौती पूरी कर देते हैं। बताया जाता है कि आदि देव की इस चौखट से आज तक कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटा। यह प्रसिद्ध मंदिर दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिये आस्था व विश्वास का केंद्र है।
ये हैं मंदिर की विशेषताएं
सताँव गांव के दक्षिण से निकले मौरावाँ रजबहा नहर की दाहिनी तट पर विराजमान कोटेश्वर मंदिर का इतिहास अद्भुत है। गाँव के पूर्वज बताते हैं कि मन्दिर के गर्भगृह में विराजमान तीनों शिवलिंग कई सौ वर्ष पुराने हैं। सताँव गाँव के अनेक बुजुर्ग बताते हैं कि कई सौ वर्ष पहले इन तीनों आदिकालीन शिवलिंगों का सर्व प्रथम पूजन 'भर' जाति के राजा सातन ने किया था। उल्लेखनीय है कि सताँव गाँव का नाम तो राजा सातन के नाम पर पड़ा, लेकिन जहां शिवलिंगों का प्राकट्य हुआ वह स्थान काफी ऊँचाई पर है, इसलिए मंदिर का नाम कोटेश्वर पड़ गया।
मंदिर के इतिहास के जानकारों के मुताबिक राजा सातन, इन शिवलिंगों को यहाँ से खुदवा कर ले जाना चाहते थे। वे इन्हें डलमऊ के गंगा तट पर प्रतिस्थापित कराना चाहते थे। राजा सातन ने काफी गहराई तक खुदाई कराई, लेकिन इन शिवलिंगों का अन्तिम छोर नहीं मिला, अतः थक हार कर राजा सातन ने यहीं पर एक मंदिर बनवा दिया।
मंदिर में सावन व महाशिवरात्रि पर दिखाई देते हैं सर्प...
मंदिर के पुजारी श्याम बाबा व वहां पर मौजूद भक्त राजेश तिवारी, धुन्नर सोनी, अंकित सिंह बताते हैं कि सावन के सोमवार व महाशिवरात्रि जैसे विशेष दिनों में काले नाग व काले बिच्छू मंदिर में दिखाई देते हैं।
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