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Video : रायबरेली में शहबाज और धीरेंद्र ने संभाल रखी थी रुपयों के लेनदेन की जिम्मेदारी
रायबरेली में फर्जी दस्तावेज के सहारे आधार कार्ड बनाए जाने के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। फरार आरोपी शहबाज आलम और धीरेंद्र शर्मा रुपयों के लेनदेन की जिम्मेदारी संभाल रखी थी।
रायबरेली के अलावा यह गिरोह और कहां-कहां सक्रिय था, इसकी जांच पुलिस कर रही है। डीह थाना प्रभारी जितेंद्र मोहन सरोज के मुताबिक जन्म प्रमाणपत्र बनाने के बाद ही आधार कार्ड बनाए जाने की प्रक्रिया होती है। पहले आरोपी फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाते थे और फिर आधार कार्ड बनाने के लिए अप्लाई करते थे।
जांच में खुलासा हुआ है कि पकड़ा गए आरोपी अरविंद आधाार कार्ड में प्रति व्यक्ति से 300 या फिर 320 रुपये लेता था। इसमें से 270 रुपये प्रति आधार कार्ड सलोन निवासी शहबाज आलम लेता था।
वहीं, पकड़ा गया आरोपी शत्रुघ्न प्रति आधार कार्ड बनाने के लिए 250 रुपये लेता था। इसमें 200 रुपये फरार आरोपी धीरेंद्र शर्मा को लेता था। शहबाज आलम और धीरेंद्र के जरिए बैंक कर्मचारी अनुज यादव रुपये की वसूली कर रहा था। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे इस प्रकरण से और चौंकाने वाली बात सामने आएंगी।
परेशान लोग आते थे झांसे
जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि भागदौड़ के बाद भी जो लोग आधार कार्ड नहीं बनवा पाते थे, वह इस गिरोह के सदस्यों के झांसे में आसानी से आ जाते थे। वजह बिना भागदौड़ के ही गिरोह के सदस्य आसानी से आधार कार्ड बनाने की बात कहते थे। थाना प्रभारी का कहना है कि कितने लोग इस गिरोह का शिकार हुए हैं, इसकी जांच अभी चल रही है।
52 हजार फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने का हो चुका खुलासा
रायबरेली में जन्म प्रमाणपत्र बनाने का यह पहला कोई मामला नहीं है। इससे पहले सलोन क्षेत्र में 52 हजार फर्जी जन्मप्रमाणपत्र बनाए जाने का खुलासा हो चुका है। इस मामले में जनसुविधा केंद्र, ग्राम पंचायत अधिकारी, जनसुविधा केंद्र संचालक समेत अन्य आरोपियों को जेल भेजा गया था। एक बार फिर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने का खुलासा होने से हड़कंप है।
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