टीकमगढ़ जिले के बड़ागांव धसान से एक प्रेरणादायक मिसाल सामने आई, जहां 82 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंक कर्मी रघुवीर प्रसाद खरे ने अपने जीवनकाल में ही यह संकल्प लिया था कि मृत्यु के बाद उनका शरीर चिकित्सा शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए दान किया जाए। बुधवार सुबह उनके देहावसान की सूचना मिलते ही पूरे नगर में शोक की लहर फैल गई।
जैसे ही लोगों को पता चला कि देहदानी रघुवीर प्रसाद खरे का निधन हो गया है, बड़ी संख्या में ग्रामीण और नगरवासी उनके अंतिम दर्शन के लिए इकट्ठा होने लगे। उनके परिवारजनों ने प्रशासन को इसकी सूचना दी, जिसके बाद तहसीलदार और पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची। मानवता के इस महान कार्य को सम्मान देते हुए पुलिस द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यह सम्मान ना केवल उनके व्यक्तित्व का परिचय था, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि देहदान जैसे कार्य वास्तव में राष्ट्र सेवा की श्रेणी में आते हैं।
गौरतलब है कि रघुवीर प्रसाद खरे ने 29 जनवरी 2025 को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज, सागर में देहदान की औपचारिक प्रक्रिया पूरी की थी। उनके निधन के बाद शासकीय वाहन से उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां इसे छात्रों की शिक्षा और चिकित्सा अनुसंधान के लिए सुरक्षित किया जाएगा।
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बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉ. प्रशांत जैन ने बताया कि देहदान वास्तव में महादान है। उन्होंने कहा कि रघुवीर प्रसाद खरे का जीवन दूसरों के लिए समर्पित रहा, और अब मृत्यु के बाद भी उनका शरीर डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने तथा नई पीढ़ी को बेहतर चिकित्सक बनाने में सहायक होगा।
रघुवीर प्रसाद खरे का यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा, और समाज को यह संदेश देता रहेगा कि मृत्यु के बाद भी हम मानवता की सेवा कर सकते हैं।